अनमोल बातें- 8
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के पौत्र इमाम मुहम्मद बाक़िर अलैहिस्सलाम कहते हैं कि वह कितना बुरा बंदा है जिसके दो चेहरे और दो ज़बानें हों।
उसका एक चेहरा वह है जब वह तुमसे मिला है, यह चेहरा हंसमुख और दयालु है। उसका दूसरा चेहरा वह है जब वह तुमसे दूर हो जाता है और पीठ पीछे चला जाता है। यह चेहरा क्रूर व क्रोधित है। उसकी एक ज़बान वह है जब वह तुम्हारे सामने बैठता है तो उसकी ज़बान तुम्हारी प्रशंसा करती है, जबकि दूसरी ज़बान वह है जब वह तुम्हारी अनुपस्थिति में तुम्हारे बारे में बात करता है, तब वह तुम्हारी बुराई करती है। इसी प्रकार जब वह अपने भाई साथ होता है तो अतिशयोक्ति के साथ उसकी प्रशंसा करता है लेकिन जब वह उसके पीछे होता है तो अपने दांतों से उस चबाता है अर्थात उसकी बुराई करता है। अगर उस भाई को कोई सांसारिक अनुकंपा मिलती है तो वह उसे ईर्ष्या करता है लेकिन जब वह किसी कठिनाई में ग्रस्त होता है तो वह उसे छोड़ देता है।
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के पौत्र इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम अपने पूर्वजों और पैग़म्बरे इस्लाम के हवाले से कहते हैं कि हर किसी को पर्याप्त पानी से वुज़ू करना चाहिए। अर्थात अधिक पानी नहीं डालना चाहिए बल्कि इस प्रकार पानी डालना चाहिए कि वह वुज़ू के सभी अंगों तक पहुंच जाए। इसी तरह उसे नमाज़ भी अच्छी तरह से पढ़नी चाहिए। अच्छी नमाज़ का अर्थ यह है कि ईश्वर के भय और पूरे ध्यान के साथ पढ़ी जाए। ईश्वर सूरए मोमेनून के आरंभ में ईमान वाले लोगों की विशेषता बयान करते हुए कहता है कि वे ऐसे लोग हैं जो अपनी नमाज़ में ईश्वर से डरते हैं, अपनी ज़बान को बुरी बातों से सुरक्षित रखते हैं और दूसरों की बुराई नहीं करते कि जो अनेक बुराइयों की जड़ है और जो लोग अपने पापों की क्षमा चाहते हैं, इसी तरह वे लोग ईश्वर के परिजनों के हितैषी व प्रेमी होते हैं। इस अर्थ में कि उनका कर्म पैग़म्बर के परिजनों के आदेशों के अनुसार होता है। इस प्रकार के लोगों का ईमान सच्चा होता है और इसी प्रकार के लोगों के लिए स्वर्ग के दरवाज़े खुल जाते हैं। अतः अगर हम चाहते हैं कि स्वर्ग में जाएं तो हमें इन विशेषताओं को अपनाना चाहिए। (HN)