Mar १६, २०१९ १४:०९ Asia/Kolkata

ईमान वालों के एक दूसरे पर अधिकारों के बारे में इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने अपने एक पाठ में कहा कि पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम का कथन है कि हर ईमान वाले का अपने मोमिन भाई पर सात अधिकार हैं और ईश्वर ने इन अधिकारों के पालन को उसके लिए अनिवार्य बनाया है।

इन अधिकारों की अनिवार्यता को गंभीरता से लेना चाहिए। इनमें से एक अधिकार यह है कि अपने दिल में अपने इस मोमिन भाई के लिए वैभव पैदा की जाए। वैभव किस कारण? निश्चित रूप से उसके ईमान के कारण। इसका अर्थ यह है कि ईमान वालों को एक दूसरे का अवश्य सम्मान करना चाहिए, अनादर से बचना चाहिए। यह पहला अधिकार है। दूसरा यह कि उससे दिल से प्रेम करना चाहिए। अपने माल में उसे सहभागी बनाना चाहिए। कभी आपके पास है और उसे ज़रूरत है तो उसकी मदद करनी चाहिए। उसकी अनुपस्थिति में किसी को उसकी बुराई नहीं करने देनी चाहिए। अगर वह बीमार पड़े तो उसे देखने जाना चाहिए। मरने के बाद भी उसे छोड़ना नहीं चाहिए। अगर हमारा मोमिन भाई इस दुनिया से चला जाए तो हमें उसके अंतिम संस्कार में भाग लेना चाहिए अर्थात मौत के बाद भी उसके साथ रहना चाहिए। उसके मरने के बाद उसे अच्छे शब्दों में याद करना चाहिए यहां तक कि अगर उसने कोई बुराई भी की हो तो तो उसका उल्लेख नहीं करना चाहिए। हदीस में है कि जो लोग मर गए हैं और अपने बचाव की शक्ति नहीं रखते उनकी भलाइयों का उल्लेख करना चाहिए क्योंकि हर एक में कोई न कोई भलाई अवश्य होती है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई अपने एक अन्य पाठ में बात करने की शैली व उचित स्थान के बारे में कहते हैं कि हदीस में है कि अपनी बात की शक्ति को दो तरह से इस्तेमाल करना चाहिए। एक द्वार खोलना चाहिए, हलाल रोज़ी हासिल करने की कोशिश के लिए। हलाल रोज़ी में बहुत सी बातें और मामले शामिल हैं, जीवन यापन के मामले, विवाह के मामले, शिक्षा के मामले, ये सब ईश्वर द्वारा हलाल की गई बातें हैं। बात करने की शक्ति को इस्तेमाल करने का दूसरा भाग, प्रलय से संबंधित है। सारांश में यह कि दुनिया के माल को और दुनिया की संभावनाओं को या तो जीवन के आवश्यक मामलों के लिए या उन बातों के लिए इस्तेमाल करना चाहिए जिनका सांसारिक लाभ हमें हासिल हो या फिर उन्हें प्रलय के लिए इस्तेमाल करना चाहिए कि उनका परलोक का लाभ हमें हासिल हो। इन संभावनाओं को व्यर्थ इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। (HN)