घर परिवार- 28
ईश्वरीय धर्म इस्लाम घर को वह केन्द्र समझता है जहां इंसान के अंदर मौजूद क्षमताएं व योग्यताएं निखरती और परवान चढ़ती हैं।
इस आधार पर घर वह सुरक्षित स्थान है जहां से तक़वा अर्थात ईश्वरीय भय और दूसरे मानवीय गुण अस्तित्व में आते हैं और इंसान को मुक्ति व कल्याण के रास्ते पर ले जाते हैं और इस चीज़ का आधार प्रेम, दया, सदाचरण और परस्पर सम्मान होता है और इन चीज़ों का स्रोत मानवीय प्रवृत्ति होती है जिसे महान व सर्वसमर्थ ईश्वर ने इंसान के अस्तित्व में रख दिया है और हज़रत आदम और जनाबे हव्वा ने इस चीज़ का अनुभव अपनी रचना के पहले दिन ही कर लिया था। हज़रत आदम और जनाबे हव्वा ने जिस दिन इस नश्वर संसार में कदम रखा था उसी समय यह समझ लिया था कि आराम और सुकून की सबसे अच्छी जगह परिवार है। हज़रत आदम और जनाबे हव्वा का स्वर्ग से एक साथ ज़मीन पर आना इस बात का बेहतरीन प्रमाण है कि परिवार सुकून का बेहतरीन केन्द्र है। यद्यपि हज़रत आदम और जनाबे हव्वा का ज़मीन पर आना उन्हें पसंद नहीं था और दोनों ने शैतानी उकसावे का कटु अनुभव किया था परंतु उन्होंने अपने पालनहार से प्रायश्चित किया और कृपालु व दयालु ईश्वर ने उनके प्रायश्चित को स्वीकार किया और उन्हें एक साथ रहने का सौभाग्य प्रदान किया और साथ रहने के परिणाम में उनकी संतानें हुईं और दुनिया में इंसानों की संख्या दिन- प्रतिदिन बढ़ती चली गयी यहां तक कि इंसानों की संख्या आज अरबों में पहुंच गयी है और दुनिया के समस्त इंसान एक ही माता- पिता यानी हज़रत आदम और जनाबे हव्वा की संतान हैं चाहे उनका संबंध किसी भी धर्म या जाति से हो। बहरहाल लोगों ने किसी महान व्यक्ति से पूछा कि दुनिया में शांति व सुरक्षा को विस्तृत करने के लिए क्या करना चाहिये? तो उसने जवाब दिया कि केवल घर जाओ और अपने परिवार से प्रेम करो।
हमने एक धार्मिक परिवार के बारे में बात की थी और एक सफल धार्मिक परिवार के मापदंड बताये थे। बहुत से अध्ययनकर्ताओं ने जो अध्ययन व शोध किया है उसमें वे इस परिणाम पर पहुंचे हैं कि धार्मिक आस्था और धार्मिक शिक्षाओं के अनुसार व्यवहार एक सफल व मज़बूत परिवार की रचना में एक महत्वपूर्ण और प्रभावी चीज़ है। परिवारों की भूमिका के संबंध में जो अध्ययन किये गये हैं उनमें से लगभग 81 प्रतिशत अध्ययनों में कहा गया है कि एक सफल परिवार की रचना में धार्मिक आस्थाओं व शिक्षाओं की महत्वपूर्ण व सकारात्मक भूमिका होती है और परिवार के सदस्यों के मध्य जो संबंध होते हैं उन्हें मधुर व मज़बूत बनाने में भी उनकी उल्लेखनीय भूमिका होती है।
कैन्ज़ेस राज्य के एक विश्वविद्यालय के उस्तादों और प्रोफेसरों का दल अपने अध्ययन में इस परिणाम पर पहुंचा है कि परिवार के प्रति इंसान जो प्रतिबद्ध रहता है उसकी वजह धार्मिक आस्थायें व शिक्षाएं होती हैं। “ब्रिगम यंग” विश्व विद्यालय के प्रोफेसर व मनोवैज्ञानिक एलन बरगेन का मानना है कि कुछ धार्मिक मूक्य इंसान की मनोदशा पर परमाणु ऊर्जा की भांति प्रभाव डालते हैं। बहुत सारे प्रमाण हैं जो इस बात के सूचक हैं कि धार्मिक आस्थाओं और शिक्षाओं का प्रभाव परिवार में बहुत अधिक है और शिक्षा व प्रशिक्षा के बेहतर होने, आय के हलाल होने, पाक दामनी, दाम्पत्य जीवन की मज़बूती और अपराध के कम होने जैसी कुछ चीज़ें हैं जो धार्मिक प्रभाव का परिणाम हैं। इसी प्रकार धार्मिक शिक्षाएं व आस्थाएं मानसिक स्वास्थ्य, प्रसन्नता, प्रतिष्ठा पारिवारिक एकता व एकजुटता और सार्वजनिक सुरक्षा को अधिक करती हैं। वर्तमान समय में समाजशास्त्री उन चीज़ों को मज़बूत बनाये जाने पर बल दे रहे हैं जिनकी कमज़ोरी परिवार के टूटने व बिखर जाने का कारण बनती है।
छात्रों के संबंध में जो अध्ययन किये गये हैं उसके परिणाम इस बात के सूचक हैं कि अधिकतर भ्रांतियां और निराशा उन छात्रों में होती हैं जो धार्मिक कार्यक्रमों में कम से कम भाग लेते हैं और जो छात्र धार्मिक कार्यक्रमों में हफ्ते में एक बार या उससे अधिक भाग लेते हैं उनमें भविष्य के प्रति आशा अधिक होती है, माता- पिता के साथ उनके संबंध अच्छे होते हैं, वे दुनिया को सकारात्मक दृष्टि से देखते हैं और यह चीज़ उनकी कामयाबी में उनकी सहायता करती है। जीवन को अर्थपूर्ण व मज़बूत बनाने और दुखों को कम करने में धार्मिक आस्थाओं व शिक्षाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
इस्लाम अपनी आइडियालोजी के अनुसार नैतिक व आध्यात्मिक मूल्यों को महत्वपूर्ण समझता है और परिवारों को इन मूल्यों से सुसज्जित होने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित करता है और जिन लोगों का प्रशिक्षण धार्मिक मूल्यों के साथ होता है वे भौतिक मूल्यों को प्राप्त न कर पाने के कारण न तो दुखी होते हैं और न ही विफलता का आभास करते हैं। इस प्रकार परिवार की सतह पर धार्मिक मूल्य पति- पन्नी के मध्य एक दूसरे के प्रति प्रेम व निष्ठा उत्पन्न होने का कारण बनते हैं।
धार्मिक शिक्षाओं व आस्थाओं का एक प्रभाव यह है कि धार्मिक व्यक्ति सहनशील होता है। धार्मिक व्यक्ति उचित भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए और अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए यथासंभव प्रयास करता है परंतु जब उसे निर्धनता जैसी कठिनाइयों व समस्याओं का सामना होता है तो वह निराश नहीं होता है और वह महान व सर्वसमर्थ ईश्वर पर भरोसा करता है और उसके दिल में आशा का दीप जलता रहता है और महान ईश्वर की याद से जीवन की कड़वाहटों को मिठास में बदल देता है।
जब घर के समस्त सदस्य धार्मिक होते हैं और क्या करना एवं क्या नहीं करना चाहिये इस चीज़ में सबके सब महान ईश्वर के आदेशों के समक्ष नतमस्तक होते हैं। इसी प्रकार वे अपने अधिकारों व दायित्वों को जानते हैं और वे आपस में मतभेद नहीं करते हैं। परिवार के सदस्यों के मध्य यह समन्वय उनकी शांति और प्रेम के गहन होने का कारण बनती है।
जो इंसान धार्मिक होते हैं वे महान ईश्वर को दृष्टि में रखते हैं और वे उन कार्यों को करने से परहेज़ करते हैं जो महान ईश्वर की अप्रसनन्ता का कारण बनते हैं। धार्मिक शिक्षाओं में बल देकर कहा गया है कि पति- पत्नी और संतान को चाहिये कि एक दूसरे के साथ अच्छा व्यवहार करें और इस तरह से महान ईश्वर की प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है।
इमाम हसन अलैहिस्सलाम फरमाते हैं” अपनी बेटी की शादी धर्मपरायण युवा से करो। क्योंकि अगर वह उसे दोस्त रखेगा तो उसका सम्मान करेगा और अगर उससे नफरत करेगा तो उस पर अत्याचार नहीं करेगा।“
हराम व अवैध कार्यों से दूरी भी परिवार की मज़बूती का कारण बनती है। ईश्वरीय धर्म इस्लाम में दूसरे की बुराई करना और आरोप लगाना हराम है। अतः परिवार के सदस्य एक दूसरे की बुराई करने और आरोप लगाने से परहेज़ करते हैं। इसी तरह इस्लाम धर्म में चुगुलखोरी हराम है। अतः परिवार के सदस्य एक दूसरे की चुगली नहीं करते और परिणाम स्वरूप परिवार में मतभेद या तो होता ही नहीं या होता है तो वह अधिक नहीं हो पाता। इसी प्रकार इस्लाम में शराब पीना हराम है। अतः पति- पत्नी और परिवार के दूसरे सदस्य बहुत से बुरे व्यवहारों से बचे रहते हैं। इस्लाम की शिक्षाओं में संतान को माता- पिता को कष्ट पहुंचाने से मना किया गया है। परिणाम स्वरूप माता- पिता और संतान के मध्य संबंध मधुर व घनिष्ठ हो जाते हैं। इसके अलावा दूसरी बहुत सारी चीज़ें हैं जो परिवार के सदस्यों के मध्य संबंधों को मज़बूत व प्रगाढ़ बनाती हैं।
ईश्वरीय धर्म इस्लाम में नैतिक सदगुणों पर बहुत बल दिया गया है। महान ईश्वर पवित्र कुरआन में कहता है “जो लोग ईमान लाये और वे अच्छा कार्य अंजाम देते हैं ईश्वर दिलों में उनके प्रति प्रेम डाल देता है।“
जो लोग सच्चाई, सम्मान, प्रेम और विनम्रता जैसे गुणों से सुसज्जित हैं दूसरे उनसे प्रेम करने लगते हैं और यह वह चीज़ है जो परिवार के सदस्यों को मज़बूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
हमने विवाह के व्यक्तिगत और सामाजिक लाभों के बारे में चर्चा की थी। विभिन्न अध्ययन इस बात के सूचक हैं कि शारीरिक व मानसिक दृष्टि से विवाह उम्र के अधिक होने का कारण बनता है। इस संबंध में कहना चाहिये कि अगर विवाह दिल की बीमारियों से मुकाबले में एक ढ़ाल नहीं है तो निश्चित रूप से वह एक प्रभावी इंजेक्शन है।
जापानी चिकित्सकों का मानना है कि जिन पुरुषों ने विवाह नहीं किया है उनमें दिल की बीमारी का ख़तरा तीन गुना अधिक होता है। चिकित्सकों ने 3682 व्यक्तियों पर शोध किया और इस नतीजे पर पहुंचे कि विवाहित पुरुष रक्त में वसा, उक्त रक्तचाप, मधुमेह और कोलेस्ट्रोल जैसी समस्या से दूसरे पुरूषों से अधिक स्वस्थ व सुरक्षित होते हैं।
दांपत्य जीवन में जो स्ट्रेस होता है वह दिल की समस्या का बहुत बड़ा कारण है और चिकित्सकों का मानना है कि यह स्ट्रेस काम से उत्पन्न होने वाले स्ट्रेस से कई गुना अधिक होता है और दिल की बहुत सी बीमारियों व समस्याओं का कारण यही स्ट्रेस होता है परंतु एक सफल विवाह मर्द के दिल के मज़बूत होने का कारण बनता है।
न्यूयार्क के लगान विश्व विद्यालय में होने वाले एक अन्य शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि विवाहित पुरुषों और महिलाओं को 5 प्रतिशत कम दिल की बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
एक अन्य अध्ययन मिशिगन राज्य में किया गया। वहां चिकित्सक इस परिणाम पर पहुंचे कि पुरुषों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना सफल जीवन में नीहित है यानी अच्छा जीवन मर्दों के दिल के मज़बूत होने का कारण बनता है। इसी प्रकार जो शोध वर्ष 2011 में किया गया उसने दर्शा दिया कि विवाह से, जल्दी मरने का ख़तरा 15 प्रतिशत कम होता है। इसी प्रकार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 2010 में एक शोध कराया था और उस शोध के परिणाम इस बात के सूचक हैं कि विवाह व्याकुलता और अवसाद के ख़तरे को कम करता है।