क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-744
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-744
وَمَا آَتَيْتُمْ مِنْ رِبًا لِيَرْبُوَ فِي أَمْوَالِ النَّاسِ فَلَا يَرْبُو عِنْدَ اللَّهِ وَمَا آَتَيْتُمْ مِنْ زَكَاةٍ تُرِيدُونَ وَجْهَ اللَّهِ فَأُولَئِكَ هُمُ الْمُضْعِفُونَ (39)
और जो कुछ तुम ब्याज पर देते हो ताकि वह लोगों के मालों में शामिल होकर बढ़ जाए तो वह ईश्वर के यहाँ नहीं बढ़ता किन्तु जो ज़कात तुमने ईश्वर की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए दी तो ऐसे ही लोग अपना (पारितोषिक) कई गुना बढ़ाते हैं। (30:39)
اللَّهُ الَّذِي خَلَقَكُمْ ثُمَّ رَزَقَكُمْ ثُمَّ يُمِيتُكُمْ ثُمَّ يُحْيِيكُمْ هَلْ مِنْ شُرَكَائِكُمْ مَنْ يَفْعَلُ مِنْ ذَلِكُمْ مِنْ شَيْءٍ سُبْحَانَهُ وَتَعَالَى عَمَّا يُشْرِكُونَ (40)
वह ईश्वर ही है जिसने तुम्हारी रचना की, फिर तुम्हें रोज़ी दी, फिर वह तुम्हें मृत्यु देता है (और) फिर वही तुम्हें जीवित करेगा। तुम्हारे द्वारा ठहराए गए ईश्वर के समकक्षों में भी क्या कोई ऐसा है जो इन कामों में से कुछ कर सके? जो कुछ वे उसका समकक्ष ठहराते हैं वह उससे पवित्र व महान है। (30:40)
ظَهَرَ الْفَسَادُ فِي الْبَرِّ وَالْبَحْرِ بِمَا كَسَبَتْ أَيْدِي النَّاسِ لِيُذِيقَهُمْ بَعْضَ الَّذِي عَمِلُوا لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ (41)
लोगों ने जो काम किए उसके कारण थल और जल में बुराई उजागर हो गई ताकि (ईश्वर) उन्हें उनकी कुछ करतूतों का मज़ा चखाए, शायद वे (सत्य की ओर) लौट आएँ। (30:41)
قُلْ سِيرُوا فِي الْأَرْضِ فَانْظُرُوا كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الَّذِينَ مِنْ قَبْلُ كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُشْرِكِينَ (42)
(हे पैग़म्बर! उनसे) कह दीजिए कि धरती में घूम फिर कर देखो कि उन लोगों का कैसा परिणाम हुआ जो पहले गुज़रे है। उनमें अधिकतर अनेकेश्वरवादी थे। (30:42)