क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-747
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-747
فَانْظُرْ إِلَى آَثَارِ رَحْمَةِ اللَّهِ كَيْفَ يُحْيِي الْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا إِنَّ ذَلِكَ لَمُحْيِي الْمَوْتَى وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ (50
तो ईश्वर की दया के चिन्हों (वर्षा) को देखो कि वह किस प्रकार धरती को उसके मरने के पश्चात जीवन प्रदान करता है। निश्चय ही (ईश्वर) मुर्दों को जीवित करने वाला और हर बात में सक्षम है। (30:50)
وَلَئِنْ أَرْسَلْنَا رِيحًا فَرَأَوْهُ مُصْفَرًّا لَظَلُّوا مِنْ بَعْدِهِ يَكْفُرُونَ (51)
और यदि हम एक ऐसी हवा भेज दें जिसके प्रभाव से वे उस (खेती) को पीली पड़ी हुई देखें तो इसके पश्चात वे अकृतज्ञ हो जाएंगे (और कुफ़्र अपनाएंगे)। (30:51)
فَإِنَّكَ لَا تُسْمِعُ الْمَوْتَى وَلَا تُسْمِعُ الصُّمَّ الدُّعَاءَ إِذَا وَلَّوْا مُدْبِرِينَ (52
(उनके दिल मरे हुए हैं) तो आप मुर्दों को (अपना निमंत्रण) नहीं सुना सकते और न ही बहरों को अपनी पुकार सुना सकते हैं जब वे मुंह फेरे चले जो रहे हों। (30:52)
وَمَا أَنْتَ بِهَادِي الْعُمْيِ عَنْ ضَلَالَتِهِمْ إِنْ تُسْمِعُ إِلَّا مَنْ يُؤْمِنُ بِآَيَاتِنَا فَهُمْ مُسْلِمُونَ (53)
और न आप अंधों को उनकी पथभ्रष्टता से मोड़ कर (सही) मार्ग पर ला सकते हैं। आप तो केवल उन्हीं को अपनी बात सुना सकते हैं जो हमारी आयतों पर ईमान लाएँ और वही (सत्य के समक्ष) नतमस्तक हैं। (30:53)
اللَّهُ الَّذِي خَلَقَكُمْ مِنْ ضَعْفٍ ثُمَّ جَعَلَ مِنْ بَعْدِ ضَعْفٍ قُوَّةً ثُمَّ جَعَلَ مِنْ بَعْدِ قُوَّةٍ ضَعْفًا وَشَيْبَةً يَخْلُقُ مَا يَشَاءُ وَهُوَ الْعَلِيمُ الْقَدِيرُ (54)
ईश्वर ही है जिसनें निर्बलता से तुम्हारी रचना की, फिर निर्बलता के पश्चात शक्ति प्रदान की, फिर शक्ति के पश्चात निर्बलता और बुढ़ापा दिया। वह जो कुछ चाहता है पैदा करता है। और वह जानने वाला (व) सक्षम है। (30:54)