क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-755
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-755
وَلَئِنْ سَأَلْتَهُمْ مَنْ خَلَقَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضَ لَيَقُولُنَّ اللَّهُ قُلِ الْحَمْدُ لِلَّهِ بَلْ أَكْثَرُهُمْ لَا يَعْلَمُونَ (25) لِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ إِنَّ اللَّهَ هُوَ الْغَنِيُّ الْحَمِيدُ (26)
और यदि आप उनसे पूछें कि आकाशों और धरती को किसने पैदा किया है? तो निश्चय ही वे कहेंगे कि अल्लाह ने। कह दीजिए कि समस्त प्रशंसा ईश्वर के लिए ही है। परंतु उनमें से अधिकांश नहीं जानते। (31:25) आकाशों और धरती में जो कुछ है, सब ईश्वर ही का है। निःसंदेह ईश्वर आवश्यकतामुक्त और प्रशंसित है। (31:26)
وَلَوْ أَنَّمَا فِي الْأَرْضِ مِنْ شَجَرَةٍ أَقْلَامٌ وَالْبَحْرُ يَمُدُّهُ مِنْ بَعْدِهِ سَبْعَةُ أَبْحُرٍ مَا نَفِدَتْ كَلِمَاتُ اللَّهِ إِنَّ اللَّهَ عَزِيزٌ حَكِيمٌ (27)
और धरती में जितने वृक्ष हैं यदि वे क़लम हो जाएँ और समुद्र उसकी सियाही बन जाए, उसके बाद सात और समुद्र सहायता के लिए आ जाएं तब भी ईश्वर के शब्द समाप्त नहीं होंगे। निःसंदेह ईश्वर अजेय (व) तत्वदर्शी है। (31:27)
مَا خَلْقُكُمْ وَلَا بَعْثُكُمْ إِلَّا كَنَفْسٍ وَاحِدَةٍ إِنَّ اللَّهَ سَمِيعٌ بَصِيرٌ (28)
तुम सबकी सृष्टि और जीवित करके पुनः उठाया जाना (ईश्वर के निकट) तो एक जीव (की सृष्टि व पुनः उठाए जाने) की भांति है। ईश्वर सब कुछ सुनने और देखने वाला है। (31:28)