क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-762
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-762
أَوَلَمْ يَهْدِ لَهُمْ كَمْ أَهْلَكْنَا مِنْ قَبْلِهِمْ مِنَ الْقُرُونِ يَمْشُونَ فِي مَسَاكِنِهِمْ إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآَيَاتٍ أَفَلَا يَسْمَعُونَ (26)
क्या उनके लिए यह बात स्पष्ट नहीं हुई कि हम उनसे पहले भी कितनी ही (जातियों और) नस्लों को तबाह कर चुके हैं जिनके रहने-बसने की जगहों में वे चलते-फिरते हैं? निःसंदेह इसमें अनेक निशानियाँ (व पाठ) हैं तो क्या वे सुनते नहीं? (32:26)
أَوَلَمْ يَرَوْا أَنَّا نَسُوقُ الْمَاءَ إِلَى الْأَرْضِ الْجُرُزِ فَنُخْرِجُ بِهِ زَرْعًا تَأْكُلُ مِنْهُ أَنْعَامُهُمْ وَأَنْفُسُهُمْ أَفَلَا يُبْصِرُونَ (27)
क्या उन्होंने देखा नहीं कि हम सूखी पड़ी भूमि की ओर पानी ले जाते हैं। फिर उसके माध्यम से खेती उगाते हैं जिसमें से वे स्वयं भी खाते हैं और उनके चौपाए भी? तो क्या उन्हें दिखाई नहीं देता? (32:27)
وَيَقُولُونَ مَتَى هَذَا الْفَتْحُ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ (28) قُلْ يَوْمَ الْفَتْحِ لَا يَنْفَعُ الَّذِينَ كَفَرُوا إِيمَانُهُمْ وَلَا هُمْ يُنْظَرُونَ (29) فَأَعْرِضْ عَنْهُمْ وَانْتَظِرْ إِنَّهُمْ مُنْتَظِرُونَ (30)
और वे कहते हैं कि यदि तुम सच्चे हो तो यह विजय कब होगी? (जिसका तुम वादा करते हो) (32:28) कह दीजिए कि विजय के दिन काफ़िरों का ईमान उनके कोई काम न आएगा और न उन्हें मोहलत दी जाएगी। (32:29) तो उन्हें उनकी स्थिति पर छोड़ दीजिए और प्रतीक्षा कीजिए कि वे भी प्रतीक्षित हैं। (32:30)