क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-766
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-766
وَإِذْ قَالَتْ طَائِفَةٌ مِنْهُمْ يَا أَهْلَ يَثْرِبَ لَا مُقَامَ لَكُمْ فَارْجِعُوا وَيَسْتَأْذِنُ فَرِيقٌ مِنْهُمُ النَّبِيَّ يَقُولُونَ إِنَّ بُيُوتَنَا عَوْرَةٌ وَمَا هِيَ بِعَوْرَةٍ إِنْ يُرِيدُونَ إِلَّا فِرَارًا (13)
और जब उनमें से (मिथ्याचारियों के) एक गुट ने कहा, हे मदीने के लोगों, तुम्हारे लिए ठहरने का कोई (सुरक्षित) स्थान नहीं (रहा) अतः लौट चलो। और उनमें से एक गुट पैग़म्बर से यह कह कर (वापस जाने की) अनुमति मांग रहा था कि हमारे घर खुले हुए (और असुरक्षित) हैं जबकि वे खुले हुए (और असुरक्षित) न थे। वास्तव में वे तो बस (रणक्षेत्र से) भागना चाहते थे। (33:13)
وَلَوْ دُخِلَتْ عَلَيْهِمْ مِنْ أَقْطَارِهَا ثُمَّ سُئِلُوا الْفِتْنَةَ لَآَتَوْهَا وَمَا تَلَبَّثُوا بِهَا إِلَّا يَسِيرًا (14) وَلَقَدْ كَانُوا عَاهَدُوا اللَّهَ مِنْ قَبْلُ لَا يُوَلُّونَ الْأَدْبَارَ وَكَانَ عَهْدُ اللَّهِ مَسْئُولًا (15)
और यदि शत्रु मदीने के आस-पास से घुस आते और इनसे फ़ित्ना फैलाने (और अनेकेश्वरवाद की ओर लौट जाने) के लिए कहा जाता तो वे थोड़े से विलम्ब के बाद ऐसा कर डालते। (33:14) जबकि वे इससे पहले ईश्वर को वचन दे चुके थे कि वे पीठ न दिखाएंगे और ईश्वर से की गई प्रतिज्ञा के विषय में तो अवश्य ही पूछा जाना है। (33:15)
قُلْ لَنْ يَنْفَعَكُمُ الْفِرَارُ إِنْ فَرَرْتُمْ مِنَ الْمَوْتِ أَوِ الْقَتْلِ وَإِذًا لَا تُمَتَّعُونَ إِلَّا قَلِيلًا (16) قُلْ مَنْ ذَا الَّذِي يَعْصِمُكُمْ مِنَ اللَّهِ إِنْ أَرَادَ بِكُمْ سُوءًا أَوْ أَرَادَ بِكُمْ رَحْمَةً وَلَا يَجِدُونَ لَهُمْ مِنْ دُونِ اللَّهِ وَلِيًّا وَلَا نَصِيرًا (17)
(हे पैग़म्बर!) कह दीजिए कि यदि तुम मृत्यु और मारे जाने से भागो भी तो यह भागना तुम्हारे लिए कभी भी लाभदायक न होगा। और (अगर लाभदायक हुआ तो) उस हालत में भी तुम कम ही सुख प्राप्त कर पाओगे। (33:16) कह दीजिए कि यदि ईश्वर तुम्हारी कोई बुराई चाहे या वह तुम्हारे प्रति दया का इरादा करे तो कौन है जो तुम्हें ईश्वर से बचा सकता है (या जो उसकी दया को रोक सकता है)? तथ्य यह है कि वे ईश्वर के अतिरिक्त किसी को न अपना समर्थक पाएँगे और न सहायक। (33:17)