Feb २३, २०२० १७:४८ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-776

لَا جُنَاحَ عَلَيْهِنَّ فِي آَبَائِهِنَّ وَلَا أَبْنَائِهِنَّ وَلَا إِخْوَانِهِنَّ وَلَا أَبْنَاءِ إِخْوَانِهِنَّ وَلَا أَبْنَاءِ أَخَوَاتِهِنَّ وَلَا نِسَائِهِنَّ وَلَا مَا مَلَكَتْ أَيْمَانُهُنَّ وَاتَّقِينَ اللَّهَ إِنَّ اللَّهَ كَانَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ شَهِيدًا (55)

 

महिलाओं के लिए इसमें कोई पाप नहीं है कि वे अपने पिताओं, अपने बेटों, अपने भाइयों, अपने भतीजों, अपने भांजों, अपने जैसी स्त्रियों और अपनी दासियों के सामने बिना हिजाब के नहीं। तुम सब ईश्वर से डरती रहो कि निश्चय ही ईश्वर हर चीज़ का साक्षी है। (33:55)

 

إِنَّ اللَّهَ وَمَلَائِكَتَهُ يُصَلُّونَ عَلَى النَّبِيِّ يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آَمَنُوا صَلُّوا عَلَيْهِ وَسَلِّمُوا تَسْلِيمًا (56)

 

निःसंदेह ईश्वर और उसके फ़रिश्ते पैग़म्बर पर दुरूद भेजते हैं तो हे ईमान वालो! तुम भी उन पर दुरूद व सलाम भेजो और उनका संपूर्ण आज्ञापालन करते रहो। (33:56)

 

 

إِنَّ الَّذِينَ يُؤْذُونَ اللَّهَ وَرَسُولَهُ لَعَنَهُمُ اللَّهُ فِي الدُّنْيَا وَالْآَخِرَةِ وَأَعَدَّ لَهُمْ عَذَابًا مُهِينًا (57) وَالَّذِينَ يُؤْذُونَ الْمُؤْمِنِينَ وَالْمُؤْمِنَاتِ بِغَيْرِ مَا اكْتَسَبُوا فَقَدِ احْتَمَلُوا بُهْتَانًا وَإِثْمًا مُبِينًا (58)

 

निश्चित रूप से जो लोग ईश्वर और उसके पैग़म्बर को यातनाएं देते हैं, ईश्वर लोक-परलोक में उन पर धिक्कार करता है और उसने उनके लिए अपमानजनक दंड तैयार कर रखा है। (33:57) और जो लोग ईमान वाले पुरुषों व महिलाओं को अकारण (आरोप लगाकर) यातना देते है, उन्होंने एक बड़े लांछन और स्पष्ट पाप का बोझ अपने सिर ले लिया है। (33:58)

 

 

 

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