क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-778
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-778
يَسْأَلُكَ النَّاسُ عَنِ السَّاعَةِ قُلْ إِنَّمَا عِلْمُهَا عِنْدَ اللَّهِ وَمَا يُدْرِيكَ لَعَلَّ السَّاعَةَ تَكُونُ قَرِيبًا (63)
(हे पैग़म्बर!) लोग आपसे प्रलय के समय के बारे में पूछते हैं। कह दीजिए कि उसका ज्ञान तो बस ईश्वर ही के पास है। आपको क्या मालूम? शायद वह समय निकट ही हो। (33:63)
إِنَّ اللَّهَ لَعَنَ الْكَافِرِينَ وَأَعَدَّ لَهُمْ سَعِيرًا (64) خَالِدِينَ فِيهَا أَبَدًا لَا يَجِدُونَ وَلِيًّا وَلَا نَصِيرًا (65) يَوْمَ تُقَلَّبُ وُجُوهُهُمْ فِي النَّارِ يَقُولُونَ يَا لَيْتَنَا أَطَعْنَا اللَّهَ وَأَطَعْنَا الرَّسُولَا (66)
निश्चय ही ईश्वर ने काफ़िरों पर धिक्कार की है और उनके लिए भड़कती आग तैयार कर रखी है। (33:64) जिसमें वे सदैव रहेंगे, जहां उन्हें न कोई समर्थक मिलेगा और न ही कोई सहायक। (33:65) जिस दिन उनके चेहरे आग में (बार बार) पलटाए जाएँगे (और) वे (निराशा से) कहेंगे कि काश हमने ईश्वर का आज्ञापालन किया होता और (काश हमने) पैग़म्बर का (भी) आज्ञापालन किया होता! (33:66)
وَقَالُوا رَبَّنَا إِنَّا أَطَعْنَا سَادَتَنَا وَكُبَرَاءَنَا فَأَضَلُّونَا السَّبِيلَا (67) رَبَّنَا آَتِهِمْ ضِعْفَيْنِ مِنَ الْعَذَابِ وَالْعَنْهُمْ لَعْنًا كَبِيرًا (68)
और वे कहते हैं, हे हमारे पालनहार! निश्चित रूप से हमने अपने सरदारों और अपने बड़ों का आज्ञापालन किया और उन्होंने हमें मार्ग से भटका दिया। (33:67) हे हमारे पालनहार! उन्हें दोहरा दंड दे और उन पर कड़ी धिक्कार कर! (33:68)