क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-779
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-779
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آَمَنُوا لَا تَكُونُوا كَالَّذِينَ آَذَوْا مُوسَى فَبَرَّأَهُ اللَّهُ مِمَّا قَالُوا وَكَانَ عِنْدَ اللَّهِ وَجِيهًا (69)
हे ईमान वालो! उन लोगों की तरह न हो जाना जिन्होंने मूसा को यातनाएं दीं, तो ईश्वर ने मूसा को, जो कुछ उन्होंने उनके बारे में कहा था, विरक्त कर दिया और वे ईश्वर के निकट बड़े सम्मानीय थे। (33:69)
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آَمَنُوا اتَّقُوا اللَّهَ وَقُولُوا قَوْلًا سَدِيدًا (70) يُصْلِحْ لَكُمْ أَعْمَالَكُمْ وَيَغْفِرْ لَكُمْ ذُنُوبَكُمْ وَمَنْ يُطِعِ اللَّهَ وَرَسُولَهُ فَقَدْ فَازَ فَوْزًا عَظِيمًا (71)
हे ईमान लाने वालो! ईश्वर का डर रखो और सही व ठोस बात किया करो। (33:70) ताकि वह तुम्हारे कर्मों को सँवार दे और तुम्हारे पापों को क्षमा कर दे। और जो कोई ईश्वर और उसके पैग़म्बर का आज्ञापालन करे, निश्चित रूप से उसने बड़ी सफलता प्राप्त कर ली है। (33:71)
إِنَّا عَرَضْنَا الْأَمَانَةَ عَلَى السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ وَالْجِبَالِ فَأَبَيْنَ أَنْ يَحْمِلْنَهَا وَأَشْفَقْنَ مِنْهَا وَحَمَلَهَا الْإِنْسَانُ إِنَّهُ كَانَ ظَلُومًا جَهُولًا (72) لِيُعَذِّبَ اللَّهُ الْمُنَافِقِينَ وَالْمُنَافِقَاتِ وَالْمُشْرِكِينَ وَالْمُشْرِكَاتِ وَيَتُوبَ اللَّهُ عَلَى الْمُؤْمِنِينَ وَالْمُؤْمِنَاتِ وَكَانَ اللَّهُ غَفُورًا رَحِيمًا (73)
निःसंदेह हमने (ईश्वरीय) अमानत को आकाशों, धरती और पर्वतों के समक्ष पेश किया, तो उन्होंने उसका बोझ उठाने से इन्कार कर दिया और उससे डर गए। लेकिन मनुष्य ने उसे उठा लिया। निश्चय ही (अमानत का पालन न करने के कारण) वह बड़ा अत्याचारी और जाहिल है। (33:72) ताकि ईश्वर मिथ्याचारी पुरुषों व मिथ्याचारी महिलाओं और अनेकेश्वरवादी पुरुषों व अनेकेश्वरवादी महिलाओं को (अमानत में ख़यानत के लिए) दंडित करे और (अमानत में ढिलाई के कारण) ईश्वर ईमान वाले पुरुषों व ईमान वाली महिलाओं की तौबा स्वीकार कर लेता है। और ईश्वर तो हमेशा ही बड़ा क्षमाशील व दयावान है। (33:73)