क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-782
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-782
وَلَقَدْ آَتَيْنَا دَاوُودَ مِنَّا فَضْلًا يَا جِبَالُ أَوِّبِي مَعَهُ وَالطَّيْرَ وَأَلَنَّا لَهُ الْحَدِيدَ (10) أَنِ اعْمَلْ سَابِغَاتٍ وَقَدِّرْ فِي السَّرْدِ وَاعْمَلُوا صَالِحًا إِنِّي بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ (11)
और निश्चय ही हमने दाऊद को अपनी ओर से श्रेष्ठता प्रदान की थी (और आदेश दिया था कि) हे पर्वतो! उनके साथ (ईश्वर का) गुणगान करो, और (यही आदेश हमने) पक्षियों को भी दिया और हमने उनके लिए लोहे को नर्म कर दिया। (34:10) (इस आदेश के साथ) कि अच्छी कवचें बनाओं और उनकी कड़ियों को ठीक नाप से जोड़ो। और (हे दाऊद!) अच्छा कर्म करो, निःस्संदेह जो कुछ तुम करते हो उसे मैं देखने वाला हूँ। (34:11)
وَلِسُلَيْمَانَ الرِّيحَ غُدُوُّهَا شَهْرٌ وَرَوَاحُهَا شَهْرٌ وَأَسَلْنَا لَهُ عَيْنَ الْقِطْرِ وَمِنَ الْجِنِّ مَنْ يَعْمَلُ بَيْنَ يَدَيْهِ بِإِذْنِ رَبِّهِ وَمَنْ يَزِغْ مِنْهُمْ عَنْ أَمْرِنَا نُذِقْهُ مِنْ عَذَابِ السَّعِيرِ (12) يَعْمَلُونَ لَهُ مَا يَشَاءُ مِنْ مَحَارِيبَ وَتَمَاثِيلَ وَجِفَانٍ كَالْجَوَابِ وَقُدُورٍ رَاسِيَاتٍ اعْمَلُوا آَلَ دَاوُودَ شُكْرًا وَقَلِيلٌ مِنْ عِبَادِيَ الشَّكُورُ (13)
और हमने हवा को सुलैमान के वशीभूत कर दिया था जो भोर के समय एक महीने की रास्ता तै करती थी और शाम के समय (भी) एक महीने की राह तै करती थी और हमने उनके लिए (पिघले हुए) ताँबे का सोता बहा दिया और जिन्नों में से भी कुछ को (उनके वशीभूत कर दिया था) जो अपने पालनहार की अनुमति से उनके सामने काम किया करते थे। और (हमने कह दिया था कि) उनमें से जो भी हमारे आदेश की अवहेलना करेगा, उसे हम भड़कती आग के दंड का मज़ा चखाएँगे। (34:12) जो कुछ सुलैमान चाहते, वे जिन्न उनके लिए वह बना दिया करते थे, (जैसे) बड़े-बड़े दुर्ग, प्रतिमाएँ, हौज़ों जैसे प्याले और ज़मीन में गड़ी हुई बड़ी बड़ी देग़ें। हे दाऊद के संतान! (इतनी सारी अनुकंपाओं पर) कृतज्ञ रहो। और मेरे बन्दों में कृतज्ञ तो कम ही हैं। (34:13)