Nov ०७, २०२० १८:४८ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-784

 

وَجَعَلْنَا بَيْنَهُمْ وَبَيْنَ الْقُرَى الَّتِي بَارَكْنَا فِيهَا قُرًى ظَاهِرَةً وَقَدَّرْنَا فِيهَا السَّيْرَ سِيرُوا فِيهَا لَيَالِيَ وَأَيَّامًا آَمِنِينَ (18) فَقَالُوا رَبَّنَا بَاعِدْ بَيْنَ أَسْفَارِنَا وَظَلَمُوا أَنْفُسَهُمْ فَجَعَلْنَاهُمْ أَحَادِيثَ وَمَزَّقْنَاهُمْ كُلَّ مُمَزَّقٍ إِنَّ فِي ذَلِكَ لَآَيَاتٍ لِكُلِّ صَبَّارٍ شَكُورٍ (19)

और हमने उनके और उन बस्तियों के बीच, जिनमें हमने बरकत प्रदान की थी, प्रत्यक्ष (व एक दूसरे के निकट) बस्तियाँ बसाईं और उनमें सफ़र की मंज़िलें विशेष अंदाज़े पर रखीं। उनमें रात-दिन निश्चिन्त होकर पूरी सुरक्षा से चलो फिरो। (34:18) लेकिन उन्होंने (अकृतज्ञता से) कहाः हे हमारे पालनहार! हमारी यात्राओं में दूरी कर दे। उन्होंने स्वयं अपने ही ऊपर अत्याचार किया। अन्ततः हमने उन्हें (दूसरों के पाठ के लिए अतीत की) कहानियाँ बना कर रख दिया और उन्हें पूरी तरह तितर-बितर कर दिया। निश्चय ही इस (घटना) में हर धैर्यवान व कृतज्ञ के लिए निशानियाँ हैं। (34:19)

 

 

وَلَقَدْ صَدَّقَ عَلَيْهِمْ إِبْلِيسُ ظَنَّهُ فَاتَّبَعُوهُ إِلَّا فَرِيقًا مِنَ الْمُؤْمِنِينَ (20) وَمَا كَانَ لَهُ عَلَيْهِمْ مِنْ سُلْطَانٍ إِلَّا لِنَعْلَمَ مَنْ يُؤْمِنُ بِالْآَخِرَةِ مِمَّنْ هُوَ مِنْهَا فِي شَكٍّ وَرَبُّكَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ حَفِيظٌ (21)

 

और निश्चय ही इबलीस ने उनके विषय में अपना गुमान सही होता पाया तो ईमान वालों के एक (छोटे से) गुट के सिवा उन सभी ने उसी का अनुसरण किया। (34:20) और उसको उन लोगों पर किसी प्रकार का प्रभुत्व व अधिकार प्राप्त न था किन्तु यह इसलिए हुआ कि हम यह देखना चाहते थे कि कौन प्रलय पर ईमान रखता है और कौन उसकी ओर से सन्देह में पड़ा हुआ है। और तुम्हारा पालनहार हर चीज़ की निगरानी करने वाला है। (34:21)

 

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