क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-785
क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-785
قُلِ ادْعُوا الَّذِينَ زَعَمْتُمْ مِنْ دُونِ اللَّهِ لَا يَمْلِكُونَ مِثْقَالَ ذَرَّةٍ فِي السَّمَاوَاتِ وَلَا فِي الْأَرْضِ وَمَا لَهُمْ فِيهِمَا مِنْ شِرْكٍ وَمَا لَهُ مِنْهُمْ مِنْ ظَهِيرٍ (22) وَلَا تَنْفَعُ الشَّفَاعَةُ عِنْدَهُ إِلَّا لِمَنْ أَذِنَ لَهُ حَتَّى إِذَا فُزِّعَ عَنْ قُلُوبِهِمْ قَالُوا مَاذَا قَالَ رَبُّكُمْ قَالُوا الْحَقَّ وَهُوَ الْعَلِيُّ الْكَبِيرُ (23)
(हे पैग़म्बर!) कह दीजिए कि ईश्वर को छोड़कर, जिन्हें तुम (पूज्य) समझते हो, पुकारो। वे कण भर चीज़ के भी न तो आकाशों में स्वामी हैं और न ही धरती में, और न आकाशों व धरती (के संचालन) में उनकी कोई भागीदारी है और न ही उनमें से कोई ईश्वर का सहायक है। (34:22) और जिसे ईश्वर ने (सिफ़ारिश की) अनुमति दी हो उसके अलावा उसके यहाँ (किसी की) कोई सिफ़ारिश काम नहीं आएगी यहाँ तक कि जब उनके दिलों से घबराहट दूर हो जाएगी, तो उनसे पूछा जाएगा, तुम्हारे पालनहार ने क्या कहा? वे कहेंगे, केवल हक़ और वह अत्यन्त उच्च (व) महान है। (34:23)
قُلْ مَنْ يَرْزُقُكُمْ مِنَ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ قُلِ اللَّهُ وَإِنَّا أَوْ إِيَّاكُمْ لَعَلَى هُدًى أَوْ فِي ضَلَالٍ مُبِينٍ (24)
(हे पैग़म्बर!) इनसे पूछिए कि कौन तुम्हें आकाशों और धरती से रोज़ी देता है? कह दीजिए कि ईश्वर! तो अब अवश्य ही हम में या तुममें से कोई एक ही (सही) मार्ग पर या खुली पथभ्रष्टता में (पड़ा हुआ) है। (34:24)