Nov ०७, २०२० २०:०५ Asia/Kolkata

क़ुरआन ईश्वरीय चमत्कार-791

قُلْ إِنَّمَا أَعِظُكُمْ بِوَاحِدَةٍ أَنْ تَقُومُوا لِلَّهِ مَثْنَى وَفُرَادَى ثُمَّ تَتَفَكَّرُوا مَا بِصَاحِبِكُمْ مِنْ جِنَّةٍ إِنْ هُوَ إِلَّا نَذِيرٌ لَكُمْ بَيْنَ يَدَيْ عَذَابٍ شَدِيدٍ (46)

(हे पैग़म्बर! इनसे) कह दीजिए कि मैं तुम्हें बस एक बात की नसीहत करता हूँ कि तुम ईश्वर के लिए दो-दो और एक-एक करके उठ खड़े हो, फिर विचार करो (ताकि तुम्हें पता चल जाए कि) तुम्हारे साथी (अर्थात पैग़म्बर में) में कोई उन्माद नहीं है। वे तो बस एक कड़े दंड (के आने) से पहले तुम्हें सचेत करने वाले ही हैं। (34:46)

 

قُلْ مَا سَأَلْتُكُمْ مِنْ أَجْرٍ فَهُوَ لَكُمْ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى اللَّهِ وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ شَهِيدٌ (47)

 

(हे पैग़म्बर! इनसे) कह दीजिए कि अगर मैंने तुमसे कोई बदला माँगा है तो वह तुम्हें ही मुबारक हो। मेरा प्रतिफल तो बस ईश्वर के ज़िम्मे है और वह हर चीज़ का साक्षी है। (34:47)

 

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