अफ़ग़ानिस्तान में दाइश- 1
दाइश का नया बसेरा नामक एक नयी श्रंखला के साथ आप की सेवा में उपस्थित हैं।
इस कार्यक्रम में हम दाइश की विचार धारा की नींव और आधारों पर चर्चा करेंगे।
अफ़ग़ानिस्तान की दुनिया भर के लोगों में एक ख़ास तरह की छवि है। हथियार बंद क़बीले , कट्टरपंथ, वहाबियत, तालिबान, दाइश और अलकाएदा जैसे विषय, अफ़ग़ानिस्तान के साथ जुड़े हैं। अफ़ग़ानिस्तान , पिछले तीन दशकों से प्राक्सी वार का भी केन्द्र रहा है। अफ़ग़ानिस्तान में सऊदी अरब अमरीका और इसाईल जैसी सरकारें, दाइश और अन्य आतंकवादी गुटों को अपने लक्ष्मों के लिए प्रयोग करती हैं।
आतंकवादी संगठन दाइश, जिसे आईएसआईएस भी कहा जाता है, अतिवादी तकफ़ीरी विचारधारा रखता है जिसका प्रेरण स्रोत वहाबियत है।
वैसे यह भी एक हक़ीक़त है कि हालिया दशकों में आतंकवादी संगठनों को बनाने में वहाबी विचारधारा की मुख्य भूमिका रही है और यह सब को मालूम है कि वहाबियत की विचारधारा का आरंभ ब्रिटिश एजेंट मुहम्मद बिन अब्दुल वहाब ने किया था।
इब्ने तैमिया ने शिया और सुन्नी मुसलमानों के बहुत से विचारों का विरोध किया। इब्ने तैमिया इस्लामी शाओं के अनुसार स्वयं को हंबली मुसलमान कहते थे लेकिन इस बात पर ज़ोर देते थे कि यहूदी किसी भी दशा में झूट नहीं बोलते और न ही किसी चीज़ में फेर बदल करते हैं।
सन १७९५ में वहाबियों ने सऊद बिन अब्दुल अज़ीज़ के नेतृत्व में पहले इराक़ के कर्बला नगर की घेराबंदी की और फिर नगर में घुस कर इमाम हुसैन अलैहिस्साम के मज़ार के दर्शन के लिए इस नगर में मौजूद श्र्द्धालुओं का जनसंहार किया।
सन १९०४ से १९१९ तक फ़ार्स की खाड़ी में ब्रिटेन के मशहूद और बेहद शक्तिशाली जासूस सर पेर्सी काक्स ने सऊदी अरब के गठन में मुख्य भूमिका निभाई थी।
सीरिया और इराक़ में पराजित होने के बाद दाइश ने नयी ज़मीन ढूंढना शुरु कर दी थी इस सिलसिले में अफ़ग़ानिस्तान , कई पहलुओं से सऊदी अरब और दाइश के लिए उचित था।