Nov २९, २०२० १९:३१ Asia/Kolkata
  • ईरान भ्रमण- 58(उत्तरी ख़ुरासान)

पिछले कार्यक्रम में हमने आपको ईरान के पूर्वोत्तर में स्थित उत्तरी ख़ुरासान प्रांत की सैर करायी थी और यह बताया था कि उत्तरी ख़ुरासान प्रांत का केन्द्रीय नगर बुजनूर्द है।

वर्ष 1383 हिजरी शमसी में ईरानी सरकार ने उत्तरी ख़ुरासान को तीन प्रांतों में बांट दिया था। उत्तरी ख़ुरासान प्रांत के उत्तर में तुर्कमनिस्तान देश है जबकि इसके पूरब और दक्षिण में ख़ुरासाने रज़वी प्रांत और दक्षिण पश्चिम में सेमनान और पश्चिम में गुलिस्तान प्रांत हैं। इस प्रांत में होने वाली खुदाई में जो चीज़ें प्राप्त हुई हैं वे इसकी एतिहासिक प्राचीनता की गाथा सुनाती हैं। इस प्रांत में पहलवान नामक की एक मशहूर जगह है और इसी तरह हैदरान जाजर्म नाम का एक टीला भी है जो 12 हज़ार साल से अधिक पुराने हैं। उत्तरी ख़ुरासान, ग्रेटर ख़ुरासान प्रांत का भाग है और यह प्रांत एसी जगह पर स्थित है जहां से होकर विभिन्न जातियां व समुदाय के लोग गुज़रते थे और वहां विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं जैसे कुर्द, तुर्क, तुर्कमन और बलोच आदि। चूंकि वहां के लोग विभिन्न भाषाओं में बात करते हैं, सबकी अपनी एक विशेष कला व संस्कृति भी है जिसकी वजह से वह पर्यटकों के ध्यान का केन्द्र भी है। 

उत्तरी ख़ुरासान प्रांत में एतिहासिक और प्राकृतिक अवशेष बहुत अधिक हैं जिनमें कुछ एसे हैं जो अविद्तीय हैं। इस प्रांत में जो संरक्षित जंगल है उसमें  एसी वनस्पतियां पायी जाती हैं और एसे जानवर रहते हैं जो एशिया और पूरी दुनिया में केवल ईरान से विशेष हैं। जलवायु की दृष्टि से भी उत्तरी ख़ुरासान प्रांत में काफी विविधता पायी जाती है। इस प्रांत की जलवायु मुख्यरूप से पर्वतीय, ठंडी और संतुलित है। इस प्रांत की जो विशेष जलवायु है, जमीन की जो विशेष परिस्थिति और जो तापमान है उसकी वजह से इस प्रांत में विशेष वनस्पतियां पाई जाती हैं और विशेष प्रकार के जानवर भी पाये जाते हैं। यह बात जानकार आपको रोचक लगेगी कि इस प्रांत में 1400 प्रकार के जानवरों और वनस्पतियों  की पहचान हो चुकी है। 1100 प्रकार की वनस्पियां और 365 प्रकार के जानवर इस प्रांत में पाये जाते हैं। 1100 प्रकार की वनस्पियों में से 110 से 150 प्रकार की वनस्पियां एसी हैं जिनका प्रयोग दवाओं के लिए किया जाता है यानी वे औषधीय विशेषताओं की स्वामी हैं। इसी प्रकार अब तक 51 से अधिक प्रकार के स्तनधारी, 141 प्रकार के पक्षी और 52 प्रकार के रेंगने वाले कीड़े- मकोड़ों की पहचान की जा चुकी है। इसी प्रकार इस प्रांत में कुछ एसे भी जानवर हैं जो पानी और ज़मीन दोनों पर रहते हैं। चूंकि इस प्रांत की जलवायु में विविधता पायी जाती है इसलिए इस प्रांत में मौजूद कुछ वनस्पतियों और रहने वाले जानवरों की अभी तक पहचान नहीं हो सकी है।

इस क्षेत्र में ज्यूनिपर नाम की एक विशेष वनस्पति पायी जाती है जो पूरी दुनिया की अद्वितीय व दुर्लभ वनस्पति है।  ज्यूनिपर के जंगलों के अलावा बलूत के पड़ों और दूसरी विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों को भी इस प्रांत की ऊंचाइयों पर देखा जा सकता है।

दोस्तो आज के कार्यक्रम में हम उत्तरी खुरासान प्रांत के एक सुन्दर नगर बुजनुर्द की आपको सैर करायेंगे। 12वीं शताब्दी के अंत और 13वीं शताब्दी के आरंभ में काजारी शासन के दौरान "सब्ज़ मैदान" नामक कामप्लेक्स का निर्माण यार मोहम्मद ख़ान शादलू के आदेश से किया गया था। इस कामप्लेक्स का निर्माण बुजनुर्द नगर के केन्द्र में किया गया और इसमें कारवांसराय, छोटी बाज़ारें, कई काफीशाप और स्नानगृह हैं और अतीत में इसे लेन- देन का मुख्य केन्द्र समझा जाता था और खुशी के बहुत से सामाजिक समारोहों का आयोजन भी इसी स्थान पर होता था। इस कामप्लेक्स का सबसे मशहूर वह सराय है जिसमें 34 कमरे हैं और उन्हें ईंटों आदि से सजाया गया है।

इस कामप्लेक्स में स्नानगृह की जो इमारत है वह 305 वर्गमीटर है और उसका निर्माण कारवां सराय के पूर्वोत्तर में किया गया है और उसकी प्राचीनता का संबंध 13वीं शताब्दी से है और इसे भी उसी शैली में बनाया गया है जैसे उत्तरी ख़ुरासान के दूसरे स्नानगृहों को बनाया गया है और उसे ईंटों आदि के काम से सजाया गया है और इसकी वास्तुकला में जिन बातों को दृष्टि में रखा गया है वे बहुत ही रोचक हैं। इसी प्रकार स्नानगृह को गर्म करने का जो स्थान है उसके दो भाग हैं। गर्मख़ाने के प्रवेशद्वार में पहुंचने के बाद आप को एक पतले हाल से होकर गुज़रना पड़ता है और उसके बाद आप एक अष्टकोणीय छत के नीचे पहुंचते हैं और उससे गुज़र जाने के बाद आप गर्मखाने के कमरे तक पहुंच जाते हैं। यहां इस बात का उल्लेख ज़रूरी है कि “सब्ज़ मैदान” नाम का जो कामप्लेक्स है उसे राष्ट्रीय धरोहर की सूची में पंजीकृत कर लिया गया है।

 

दोस्तो हम आपको यह भी बताते चलें कि इमाम बाड़े का निर्माण उन देशों व स्थानों से विशेष है जहां शीया मुसलमान रहते हैं। ईरान उन देशों में से है जहां न केवल ध्यान योग्य संख्या में शीया रहते हैं बल्कि यह शीया बहुसंख्यक देश है और यहां के संविधान का आधार भी शीया मज़हब है। ईरान में जो इमामबाड़े हैं उनमें से कुछ विशेष ध्यान के केन्द्र हैं और उनकी गणना पर्यटन स्थलों में भी होती है। बुजनोर्द का जो इमामबाड़ा है उसकी भी गणना उन पर्यटन स्थलों में होती है जिन्हें बहुत से पर्यटक देखने के लिए जाते हैं। इस इमामबाड़े का निर्माण क़ाजारी शासन के अंतिम दौर में किया गया था और इसका निर्माण 1325 हिजरी क़मरी में किया गया था और इसमें जो शिलालेख मौजूद है उसके अनुसार इसका निर्माण उस्ताद ग़ुलाम रज़ा यज़्दी ने किया है। यह इमामबाड़ा 600 वर्गमीटर में बनाया गया है और यह दो मंज़िला है। इसकी जो पहली मंज़िल है वह दूसरी मंज़िल से पुरानी है और उसका प्रयोग आवासीय कार्यों के लिए किया जाता था। इस इमामबाड़े की जो उपरी मंज़िल है उसमें धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इसी प्रकार इस इमामबाड़े में एक बड़ा सा केन्द्रीय प्रांगण भी है और इमाम बाड़े में जो कमरे हैं उनका निर्माण प्रांगण के किनारे- किनारे किया गया है और जितने भी कमरों के दरवाज़े और खिड़कियां हैं वे सब प्रांगण की ओर खुलते हैं। इस इमामबाड़े के विभिन्न भागों को ईंटों और प्लास्टर आदि के कार्यों से बहुत ही सुन्दर ढंग से सजाया गया है। यद्यपि इस इमामबाड़े की जो वास्तुकला है वह शुष्क व मरुस्थलीय क्षेत्रों से विशेष है और बुजनोर्द में वह कोई विशेष प्रचलित नहीं है किन्तु कहा जा सकता है कि इस इमामबाड़े में जो फव्वारा है, हौज़ है और इसी प्रकार इसमें जो पेड़- पौधे लगाये हैं सबके सब चारों मौसमों के अनुरुप हैं। इस इमामबाड़े की जो केन्द्रीय इमारत है उसमें प्राचीन पारंपरिक और हस्तउद्योग की चीज़ें रखी गयी हैं और मोहर्रम के दिनों में उसमें शोक- सभाओं का आयोजन भी होता है।

बुजनोर्द का इमामबाड़ा

 

यहां इस बात का उल्लेख ज़रूरी है कि बुजनोर्द के जारजिम इमामबाड़े का पंजीकरण ईरान के राष्ट्रीय धरोहर के रूप में किया जा चुका है।

दोस्तो यहां इस बात का उल्लेख करते चलें कि बुजनोर्द में एतिहासिक आकर्षणों के अतिरिक्त प्राकृतिक आकर्षण भी बहुत हैं। जैसे संरक्षित क्षेत्र, जंगली पार्क, औषधीय विशेषता के गर्म पानी के सोते, आश्चर्यजनक गुफायें, सुन्दर झरनें, सुन्दर, मनोरम व लुभावनी घाटियां और पर्यटन आकर्षणों से सम्पन्न बुजनोर्द के गांव।

बुजनोर्द में एक बहुत अच्छा व प्राचीन पर्यटन पार्क है जिसका नाम “बाबा अमान बुजनोर्द” है। इस पार्क में एक समाधि भी है जो इमाममूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के एक बेटे हज़रत इस्माईल की है और वह इमाम ज़ादा बाबा अमान के नाम से मशहूर हैं। इस पार्क में चनार, वन-संजली, आक़ाक़िया और खुबानी जैसे विभिन्न प्रकार के लगभग चार लाख पेड़ हैं। इसी प्रकार इस पार्क के पश्चिम में एक चिड़ियाघर भी है जिसमें विभिन्न प्रकार के पशु -पक्षी हैं। यह पार्क बुजनोर्द नगर के पूर्वोत्तर में 10 किलोमीटर की दूरी पर बुजनोर्द- मशहद राजमार्ग पर स्थित है।  इस जंगली पार्क में स्वीमिंगपूल भी है जिसमें नहा कर बहुत से पर्यटक अपनी थकावट मिटाते हैं। इस बाबा अमान पार्क में एक सोता भी है जो चट्टान के अंदर से निकला है। रोचक बात यह है कि इसी सोते का पानी नहाने के तालाब में गिरता है और इसी पानी से कृत्रिम झरने भी बनाये गये हैं और वहां पर जो झरने व फव्वारे बनाये गये हैं उनसे जो पानी निकलता है उससे वहां की हवा और वातावरण शीतल रहता है जो बहुत ही आनंददायक है। बुजनोर्द के आसपास बहुत से दर्शनीय व आकर्षक स्थल हैं। बुजनोर्द के उत्तरपूर्व में तीन किलोमीटर की दूरी पर अलीयाबाद नाम का एक गांव है और उस गांव में उत्तरी खुरासान प्रांत का एक बहुत ही सुन्दर बाग है और यह ईरान के सुन्दर चार बागों में से एक है और यह बाग़ 200 साल से अधिक पूराना है। सरदार मुफख़म के काल में भी इस बाग़ का प्रयोग सैर- सपाटे और मनोरंजन स्थल के रूप में किया जाता था।

बाबा अमान बुजनोर्द

दोस्तो आपको यह जानकार रोचक लगेगा कि बुजनोर्द के बहुत से उपहार प्रसिद्ध हैं जैसे कैंडी, शकर पनीर, दालचीनी, अदरक, तिल्ली आदि। लगभग 80 साल से इन चीज़ों का उत्पादन बुजनोर्द में किया जा रहा है। इसी प्रकार आड़ू, सेब, पट्टी, सूखे मेवे, मुनक्का और किशमिश भी बुजनोर्द के कुछ दूसरे उपचार हैं। बहुत से पर्यटक वहां बुनी हुई दरी, मेज़पोश और कालीन को भी बुजनोर्द के उपहार के रूप में ले जाते हैं। बुजनोर्द का जो सबसे मशहूर बाज़ार है उसका नाम बाज़ारे इमाम रज़ा है। इस बाज़ार में विभिन्न प्रकार की चीज़ें व उत्पाद बिकते हैं।

टैग्स