भारतीय राजदूत की जेद्दा में ओआईसी के महासचिव से मुलाक़ात, कश्मीर और मुसलमानों के मुद्दे पर हुयी चर्चा, प्रतिनिधिमंडल भेजने का प्रस्ताव
इस्लामी देशों के संगठन ओआईसी ने कश्मीर और भारत में मुसलमानों की स्थिति का मुद्दा उठाया है।
रियाज़ में 5 जुलाई को भारतीय राजदूत औसफ़ सईद की ओआईसी के कार्यकारी प्रमुख यूसुफ़ अल-उसैमीन के साथ मुलाक़ात हुयी जिसमें ओआईसी के कार्यकारी प्रमुख ने भारतीय मुसलमानों के मुद्दे को उठाया और जम्मू-कश्मीर में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने का प्रस्ताव दिया।
इसी तरह ओआईसी के कार्यकारी प्रमुख ने भारत-पाकिस्तान के बीच बैठक की भी अपील की।
ओआईसी ने एक बयान में कहा है कि 5 जुलाई को जेद्दा में भारतीय राजदूत औसफ़ सईद ने ओआईसी के कार्यकारी प्रमुख यूसुफ़ अल-उसैमीन से ‘शिष्टाचार मुलाक़ात’ की।
ओआईसी के बयान में आया है कि कार्यकारी प्रमुख ने भारतीय राजदूत के साथ मुलाक़ात के दौरान भारत में मुसलमानों की चिंताजनक स्थिति और जम्मू-कश्मीर विवाद की समीक्षा की।
ग़ौरतलब है कि भारतीय राजदूत की ओआईसी के महासचिव के साथ मुलाक़ात को बेहद असामान्य घटना माना जा रहा है। रिपोर्ट मिलने तक इस संबंध में भारतीय दूतावास या विदेश मंत्रालय की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया।
दो साल पहले भारतीय विदेश मंत्री दिवंगत सुषमा स्वराज ने ओआईसी की बैठक में हिस्सा लिया था जिस पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताते हुए मार्च 2019 में ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक का बहिष्कार किया था। इस घटना के बाद भारत को दावत नहीं दी गयी।
पिछले साल जून में ओआईसी ने कश्मीर को लेकर आपातकालीन बैठक की थी। जम्मू-कश्मीर को लेकर 1994 में ओआईसी में बनाए गए कॉन्टैक्ट ग्रुप के विदेश मंत्रियों की बैठक में कई प्रस्ताव पारित किए गए थे। ओआईसी के कॉन्टैक्ट ग्रुप की आपातकालीन बैठक में आज़रबाइजान, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सऊदी अरब और तुर्की शामिल हुए थे।
ओआईसी के महासचिव डॉक्टर यूसुफ़ अलउसैमीन ने कहा कि ओआईसी इस्लामी समिट, विदेश मंत्रियों की काउंसिल और अंतर्राष्ट्रीय क़ानून के मुताबिक़, जम्मू-कश्मीर के मुद्दे का शांतिपूर्ण हल निकालने के लेकर प्रतिबद्ध है।
ओआईसी के सदस्य देशों ने भारत के ख़िलाफ़ कड़ा रूख़ अख़्तियार करते हुए कहा कि वे कश्मीर के लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करते हैं। इसके अलावा इस बैठक में भारत के 5 अगस्त 2019 को कश्मीर से धारा-370 ख़त्म करने के फ़ैसले की भी आलोचन की गयी।
इसके साथ ही ओआईसी ने भारत पर मानवाधिकार के उल्लंघन को लेकर जारी रिपोर्ट का समर्थन किया था। (MAQ/N)
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