क्या योगी बोल रहे हैं झूठ? भारतीय जनता पार्टी में झूठ बोलने वालों की लगातार क्यों बढ़ रही है संख्या?
(last modified Wed, 15 Sep 2021 06:41:35 GMT )
Sep १५, २०२१ १२:११ Asia/Kolkata
  • क्या योगी बोल रहे हैं झूठ? भारतीय जनता पार्टी में झूठ बोलने वालों की लगातार क्यों बढ़ रही है संख्या?

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में हाल ही में एक विवादित और सांप्रदायिक टिप्पणी करते हुए कहा कि साल 2017 से पहले सिर्फ ‘अब्बा जान’ कहने वालों को ही राशन मिलता था।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, बीते रविवार को भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुशीनगर में कहा था, ‘प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में तुष्टिकरण की राजनीति का कोई स्थान नहीं है। वर्ष 2017 से पहले क्या सभी राशन ले पाते थे? पहले केवल अब्बा जान कहने वाले ही राशन हजम कर रहे थे। कुशीनगर का राशन नेपाल और बांग्लादेश जाता था। आज अगर कोई ग़रीब लोगों के राशन को हथियाने की कोशिश करेगा, तो वह निश्चित रूप से जेल चला जाएगा।’ योगी आदित्यनाथ के इस बयान की जहां हर स्तर पर चौतरफा आलोचना हो रही है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की बयानबाज़ी तथ्यों की कसौटी पर किसी भी तरह से सही नहीं उतरती है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून की वेबसाइट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में इस समय कुल 3.59 करोड़ राशनकार्ड धारक और इसके 14.86 करोड़ लाभार्थी हैं। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक़ यूपी की जनसंख्या 19.98 करोड़ थी।

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव।

योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद संभाला था। इससे क़रीब एक साल पहले एक मार्च 2016 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 शुरू किया था। इसके क़रीब आठ महीने बाद और आदित्यनाथ के शपथ लेने से चार महीने पहले 15 नवंबर 2016 तक 14.01 करोड़ लोगों को योजना का लाभ मिलने लगा था। यानी कि अखिलेश यादव के बाद सिर्फ 85 लाख अतिरिक्त लाभार्थियों को ही योगी सरकार जोड़ सकी है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक़ राज्य में 15.90 करोड़ हिंदू और 3.84 करोड़ मुस्लिम हैं। इस तरह यह बिल्कुल असंभव है कि समाजवादी पार्टी सरकार में सारा राशनकार्ड मुस्लिमों को ही दिया गया हो। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा क़ानून की के आंकड़े पूरी तरह योगी आदित्यनाथ के दावों को पोल खोलते हैं और उसे पूरी तरह खारिज करते हैं।  जबकि दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के लोगों ने यह भी बताया है कि योगी शासन में भूख और अभाव जारी है। एक स्वतंत्र पत्रकार सृष्टि ने अपनी एक रिपोर्ट के ज़रिए ट्विटर पर बताया कि किस तरह राशन न मिलने से कई लोगों- हिंदू और मुस्लिम दोनों- की मौत हुई या फिर गंभीर रूप से बीमार हुए हैं।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।

इस बीच राजनीतिक टीकाकार और विशेषज्ञ योगी आदित्यनाथ के इन बयानों को उत्तर प्रदेश में आगानी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र राज्य में सांप्रदायिकता को और हवा देने तथा ध्रुवीकरण की कोशिश के रूप में देखे रहे हैं। उधर, आदित्यनाथ की ‘अब्बा जान’ संबंधी टिप्पणी की विभिन्न राजनीतिक दलों ने कड़ी आलोचना की है और इसे असंसदीय भाषा करार दिया है। राजनीतिक पार्टियों ने योगी से सवाल पूछा है कि ‘जब लोगों की लाशें गंगा तैर रही थीं, तब योगी कहां थे? उस समय आप क्या कर रहे थे? जब उत्तर प्रदेश के लोग दिल्ली और मुंबई से पैदल आ रहे थे, तब आप छिपकर कहां बैठे थे? उस समय आपका क्या शासन मॉडल था?’ वहीं सोशल मीडिया पर भी योगी आदित्यनाथ के बयान के ख़िलाफ़ लोगों का ग़ुस्सा फूट गया है। सोशल मीडिया यूज़र्स योगी से सवाल पूछ रहे हैं कि आख़िर इतना झूठ लाते कहां से हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वर्ष 2014 के बाद से भारतीय जनता पार्टी में झूठ बोलने वाले नेताओं को ही बड़े-बड़े पदों पर बैठाया जा रहा है। जो जितना ज़्यादा झूठा उसके पास उतना ही बड़ा पद है। (RZ)

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