भारत और बांग्लादेश की सांप्रदायिक घटनाओं से एक दूसरे पर कितना पड़ रहा है असर, एक भारतीय सांसद ने की हमले की मांग
(last modified Mon, 18 Oct 2021 11:00:53 GMT )
Oct १८, २०२१ १६:३० Asia/Kolkata
  • भारत और बांग्लादेश की सांप्रदायिक घटनाओं से एक दूसरे पर कितना पड़ रहा है असर, एक भारतीय सांसद ने की हमले की मांग

बांग्लादेश में हिंदु समुदाय के त्योहार के समय हुई हिंसा की घटनाओं के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच सांप्रदायिकता के मुद्दे पर बहस छिड़ी हुई है।

भारत की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के अकसर विवादित बयान देने वाले वरिष्ठ सांसद सुब्रामण्यम स्वामी ने कहा है कि भारत को बांग्लादेश पर हमला कर देना चाहिए।

बांग्लादेश में पिछले कई दिनों से हालात ख़राब हैं। एक पूजा मंडप में क़ुरआन के अपमान के बाद ढाका, कुमिल्ला, फ़ेनी, किशोरगंज, चांदपुर सहित बांग्लादेश के अनेक स्थानों पर मंदिरों और पूजा मंडपों पर हमले और पुलिस के साथ झड़प की घटनाओं के सिलसिले में विभिन्न ज़िलों में अनेक मामले दर्ज किये गये हैं। इन मामलों में कुछ लोग नामज़द किये गये हैं जबकि कई सौ से लेकर कई हज़ार अज्ञात लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। बुधवार को शुरू हुई हिंसा में अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं।

हालात इतने ख़राब हो गए कि दोनों देशों के नेताओं की ओर से भी बयान आए। जहां भाजपा सांसद सुब्रामण्यम स्वामी ने अपने चरि परिचित अंदाज़ में कहा कि बांग्लादेश पर हमला कर देना चाहिए वहीं बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शैख़ हसीना वाजिद ने कहा कि बांग्लादेश में हिन्दुओं की सुरक्षा को लेकर भारत को भी सतर्क रहना चाहिए, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए, जिससे उनके मुल्क और वहाँ के हिन्दुओं पर असर पड़े।

2014 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से भारत में धर्मनिरपेक्षता के भविष्य को लेकर लगातार बहस हो रही है़, भारत में मुसलमानों के साथ भेदभाव की ख़बरें भी लगातार आती रहती हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं, जब धार्मिक वजहों से एक ख़ास समुदाय के लोगों को मारा गया, सरकार पर भी आरोप लगे कि वो कट्टर हिन्दूवादी समर्थकों को बढ़ावा दे रही है।

भारत में सीएए, बाबरी मस्जिद मामले सहित कुछ मुद्दे एसे हैं जिनका सीधा असर बांग्लादेश में देखा गया।

सत्ताधारी अवामी लीग ख़ुद को सेक्युलर पार्टी के तौर पर देखती है और उसकी कोशिश रहती है कि धार्मिक अतिवाद और धर्म आधारित राजनीति की जड़ें मज़बूत ना हों मगर पिछले साल बांग्लादेश के कम से कम दो मंत्रियों का भारत दौरा रद्द कर दिया गया था।

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