केरल हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार की धज्जियां उड़ा दीं, टीकाकरण योजना से मौलिक अधिकारों का हुआ उल्लंघन, जानिए कैसे
केरल हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र की टीकाकरण योजना के संबंध भारत में नागरिकों के दो वर्ग बनाए हैं।
एक वर्ग में वे नागरिक शामिल हैं जिन्हें कोवैक्सीन दी गई है तथा उनकी आवाजाही पर पाबंदी है, जबकि दूसरे वर्ग में उन नागरिकों को रखा गया है जिन्होंने कोविशील्ड टीके की खुराक ली है और वे कहीं भी जा सकते हैं।
अदालत ने कहा कि इस क़दम से याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है। जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने यह टिप्पणी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त वैक्सीन की तीसरी डोज़ लेने के लिए एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान की जो काम के सिलसिले में विदेश जाना चाहते हैं।
सऊदी अरब में वेल्डर के रूप में काम करने वाले इस व्यक्ति ने तीसरी बार अदालत का रुख किया क्योंकि उसने कोवैक्सीन की जो दो डोज़ ली हैं, उन्हें खाड़ी देश में मान्यता या स्वीकृति प्राप्त नहीं है, जिसके चलते उसे नौकरी खोने का डर है क्योंकि वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त वैक्सीन का टीका लगवाए बिना वहां नहीं जा सकता।
अदालत ने कहा कि राज्य प्रायोजित टीकाकरण योजना के तहत देश में दो तरह के नागरिक हैं, पहले वे जिन्हें कोवैक्सीन की डोज़ मिली है जबकि दूसरे वे लोग जिन्होंने कोविशील्ड की डोज़ ली है, पहले वर्ग में शामिल लोगों की आवाजाही पर पाबंदी है जबकि दूसरे वर्ग के लोग कहीं भी जा सकते हैं।
अदालत ने कहा कि नागरिकों के दो अलग-अलग वर्ग बनाए जाने से याचिकाकर्ता की आवाजाही के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ है।
जज ने कहा कि वह यह आदेश नहीं देंगे कि याचिकाकर्ता को तीसरी डोज़ दी जाए या नहीं, लेकिन केंद्र को एक महीने के भीतर उसकी शिकायत का निवारण करने का निर्देश देंगे।
मामले की अगली सुनवाई 5 नवम्बर को होगी, जब केंद्र सरकार जज द्वारा उठाए सवालों पर प्रतिक्रिया दे सकती है। (AK)
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