क्या वाक़ई भारत कोरोना वायरस की महामारी को शिकस्त देने में कामयाब हो गया?
फ़्रांस के लोफ़ीगारो अख़बार ने एक जायज़ा प्रकाशित किया है जिसमें यह बताया गया है कि भारत में अब कोविड के बीमारों की संख्या बेहद घट चुकी है जबकि कुछ ही महीने पहले यह देश कोरोना के तूफ़ान की चपेट में था। सवाल यह है कि भारत इस तूफ़ान से बाहर कैसे निकला?
अख़बार ने क्लाडिया एहरिन्शटाइन की रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसके अनुसार भारत के वेल्लोर मेडिकल कालेज के शिक्षक और वायरोलोजिस्ट जैकब जान का मानना है कि भारत कोरोना वायरस पर क़ाबू पाने वाला पहला देश है जो इस समय उस स्थिति में पहुंच गया है जहां नए संक्रमण की दर बेहद कम हो जाती है।
भारत में नवम्बर के अंत से रोज़ाना की संक्रमण दर 10 हज़ार से कम है, कुछ दिनों में तो साढ़े आठ हज़ार मामले ही दर्ज किए गए इसकी वजह यह है कि एक अरब चालीस करोड़ की आबादी वाले इस देश में अब अधिकतर लोगों में एंटी बाडी डेवलप हो चुकी है।
अख़बार का कहना है कि यह चमत्कार से कम नहीं है क्योंकि छह महीने पहले भारत की यह हालत थी कि पूरी दुनिया में कोरोना का हर तीसरा संक्रमण भारत में था और एक ही दिन में चार लाख तक मामले आने लगे थे। मगर इसके बाद संक्रमण की दर में इतनी ही तेज़ी के साथ गिरावट आई। भारत में अब तो लोग त्योहार भी मना रहे हैं और एक स्थान पर जमा भी हो रहे हैं। इसका मतलब यह है कि इस समय भारत की हालत जर्मनी और यूरोपीय देशों से बेहतर है।
भारत ने आधी से अधिक आबादी का टीकाकरण कर दिया है जबकि एक चौथाई आबादी को दूसरा डोज़ भी लगाया जा चुका है। भारत ने ग़रीब देशों को 1 करोड़ डोज़ से अधिक वैक्सीन दान किया है।
भारत की आबादी का बड़ा भाग युवाओं और कम उम्र के लोगों का है। आंकड़ों के अनुसार इस देश की 25 प्रतिशत आबादी 15 साल से भी कम उम्र के लोगों की है इसीलिए कोरोना के लक्षण हल्के हैं।
जर्मनी जैसे देश इस समय बूस्टर डोज़ देने की तैयारी में लगे हुए हैं मगर भारत में स्थिति यह है कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सेरोम ने कहा है कि वह उत्पादन की मात्रा कम कर रही है क्योंकि तीसरी लहर का डर नहीं है।
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