Sep २०, २०२२ १४:४५ Asia/Kolkata
  • भारत ने सऊदी अरब के साथ मिलकर अमेरिका के ख़िलाफ़ बनाई रणनीति! नई योजना से दोनों देशों के व्यापार में आएगी तेज़ी

भारत और सऊदी अरब ने रुपया-रियाल व्यापार को संस्थागत बनाने की व्यवहार्यता और राज्य में यूपीआई (UPI) और रुपे RuPay कार्ड की शुरुआत पर चर्चा की है।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी करके बताया है कि देश के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल की 18-19 सितंबर के दौरान रियाज़ की यात्रा के दौरान भारत और सऊदी अरब के बीच रुपया और रियाल के बीच व्यापार को लेकर कई समझौते हुए हैं। पीयूष गोयल ने भारत-सऊदी अरब सामरिक भागीदारी परिषद की मंत्रिस्तरीय बैठक में भी भाग लिया। भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री प्रिंस अब्दुल अज़ीज़ बिन सलमान ने परिषद की अर्थव्यवस्था और निवेश पर समिति की मंत्रिस्तरीय बैठक की सह-अध्यक्षता की। दोनों देशों के बीच डॉलर को हटाकर रुपया और रियाल में व्यापार को लेकर हुई चर्चा का मुख्य उद्देश्य व्यापार और वाणिज्य का विविधीकरण और विस्तार, और व्यापार में आने वाली बाधाओं को दूर करना है।

भारत और सऊदी अरब के अधिकारियों के बीच हुई बैठक की तस्वीर

इस बीच भारतीय मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि उन्होंने सऊदी अरब के अधिकारियों के साथ चर्चा के दौरान जलवायु परिवर्तन संवेदनशीलता के साथ ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक विकास और समृद्धि कैसे प्रदान कर सकती है, इन सब विषयों पर विस्तार से चर्चा की। गोयल ने कहा कि मंत्रिस्तरीय बैठक ने कृषि और खाद्य सुरक्षा ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और आईटी, और उद्योग और बुनियादी ढांचा के चार व्यापक डोमेन के तहत तकनीकी टीमों द्वारा पहचाने गए सहयोग के 41 क्षेत्रों का भी समर्थन किया। बता दें कि दोनों देश समयबद्ध तरीक़े से प्राथमिकता वाली परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर भी सहमत हुए और भारत में पश्चिमी तट रिफाइनरी, एलएनजी बुनियादी ढांचे के निवेश और रणनीतिक पेट्रोलियम भंडारण सुविधाओं के विकास सहित संयुक्त परियोजनाओं में निरंतर सहयोग की पुष्टि की। उल्लेखनीय है कि सऊदी अरब में व्यवसायियों के साथ एक सीईओ गोलमेज सम्मेलन के दौरान भारत से निर्यात बढ़ाने और भारत में आवक निवेश की सुविधा पर ध्यान केंद्रित किया गया। एक अलग बैठक में मंत्री ने दोनों देशों के एक्ज़िम बैंकों के संस्थागत गठजोड़, तीसरे देशों में संयुक्त परियोजनाओं, मानकों की पारस्परिक मान्यता और बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोग जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की। (RZ)

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