कोविड टीके के प्रतिकूल प्रभावों से हुई मौतों के लिए केन्द्र सरकार ने पल्ला झाड़ा
भारत की केन्द्र सरकार ने ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि कोविड-19 रोधी टीके लगाए जाने के बाद ‘टीकाकरण पश्चात प्रतिकूल प्रभाव’ की किसी घटना से मौत के लिए सरकार मुआवज़ा देने के लिए जवाबदेह नहीं हो सकती।
भारत की केन्द्र सरकार देश में कोविड महामारी से निपटने के लिए शुरू से ही ज़ोरशोर के साथ टीकाकरण अभियान चला रही है और ताजा रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में अभी तक 219.92 करोड़ खुराक दी जा चुकी हैं। इस तथ्य के मद्देनज़र भारत की केंद्र द्वारा शीर्ष अदालत में दायर हलफ़नामे को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कोविड टीकाकरण के बाद कथित रूप से प्रतिकूल प्रभावों से दो लड़कियों की मौत के मामले में उनके माता-पिता की याचिका के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने हलफ़नामा दाखिल किया। याचिकाकर्ताओं की बेटियों की उम्र 19 और 20 साल थी।
इसमें दावा किया गया कि तीसरे पक्षों द्वारा निर्मित टीकों की सफल नियामक समीक्षा हो चुकी है और सरकार को मुआवज़े के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराना क़ानून सम्मत नहीं है।
हलफ़नामे के अनुसार इन तथ्यों के मद्देनज़र पूरी विनम्रता से कहा जाता है कि टीकों के इस्तेमाल से एईएफआई के कारण अत्यंत दुर्लभ मौत के मामलों के लिए सीधे सरकार को मुआवज़े के लिए जवाबदेह ठहराना कानूनन सही नहीं है।
इसमें कहा गया कि केंद्र ने महामारी द्वारा उत्पन्न अत्यंत चुनौतीपूर्ण हालात के बीच में इससे निपटने के लिए सुरक्षित तथा प्रभावी टीकाकरण कार्यक्रम को चलाने में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं।
स्क्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन के प्रतिकूल प्रभावों से 1,148 मौतें हो चुकी हैं।
मुआवज़े की मांग के अलावा, याचिकाकर्ताओं ने यह भी प्रार्थना की कि उनकी बेटियों की मौत की जांच के लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ मेडिकल बोर्ड नियुक्त किया जाए। (AK)
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