भारत में किसान आंदोलन ने फिर ज़ोर पकड़ा, दिल्ली कूच की तैयारी, सरकार रास्ता रोकने पर अड़ी
भारत में किसानों ने एक बार फिर अपनी मांगों के समर्थन में मैदान में उतरने की तैयारी कर ली है। किसानों के दो बड़े संगठनों, संयुक्त संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मज़दूर मोर्चा ने अपनी मांगों को लेकर 13 फरवरी को 'दिल्ली कूच' का नारा दिया है।
इससे पहले अपने एक साल के लंबे आंदोलन से किसानों ने नरेंद्र मोदी सरकार को तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने पर मजबूर कर दिया था।
किसानों को डर था कि सरकार इन कानूनों के ज़रिये कुछ चुनिंदा फसलों पर मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का नियम खत्म कर सकती है और खेती-किसानी के कॉरपोरेटीकरण को बढ़ावा दे सकती है, इसके बाद उन्हें बड़ी एग्री-कमोडिटी कंपनियों का मोहताज होना पड़ेगा।
कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया था, उस दौरान सरकार ने उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने का वादा किया था, इसके साथ ही उनकी कुछ और मांगों को भी पूरा करने का वादा किया गया था।
किसान अब इन मांगों को मानने के लिए दबाव बनाने की तैयारी में हैं, 13 फरवरी का 'दिल्ली चलो' का नारा उनकी इसी रणनीति का हिस्सा है।
किसान आंदोलन पर नज़र रखने वालों का कहना है कि पिछला आंदोलन अचानक खत्म नहीं हुआ था. सरकार ने कुछ वादे किए थे, अब किसान उन वादों को पूरा करने का दबाव डाल रहे हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों में किसान आंदोलन की तैयारियों में लगे हैं, घर-घर जाकर राशन इकट्ठा किया जा रहा है, ट्रैक्टर ट्रॉलियां तैयार की जा रही हैं।
ऐसा लग रहा है अगर सरकार और किसानों के बीच 12 फरवरी को होने वाली बातचीत नाकाम रहती है तो 13 फरवरी को बड़ी तादाद में दिल्ली की ओर कूच कर सकते हैं।
सरकार किसानों का मार्च रोकने की तैयारी में लगी है, मीडिया में ऐसी तस्वीरें आ रही हैं कि जिनमें दिख रहा है कि पंजाब और हरियाणा के बीच बने शंभू बॉर्डर को सीमेंट की बैरिकेडिंग और कंटीली तारें कर सील किया जा रहा है।
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