सुप्रीम कोर्ट का चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का अधिकार प्रधानमंत्री को देने वाले क़ानून पर रोक लगाने से इनकार
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम-2023 के तहत एक धारा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है जिसके अनुसार प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और विपक्ष के नेता की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेगी।
अधिनियम की धारा 7 के अनुसार, राष्ट्रपति एक चयन समिति की सिफ़ारिश पर सीईसी और ईसी की नियुक्ति करेंगे। प्रधानमंत्री समिति के अध्यक्ष होंगे, प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता इसके सदस्य होंगे।
यह धारा मार्च 2022 में शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की पीठ के फैसले के खिलाफ है, जिसने केंद्र सरकार द्वारा लाई गई व्यवस्था को अस्वीकार कर दिया था और सुझाव दिया था कि चयन समिति में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) शामिल हों। इसका उद्देश्य देश में चुनाव कराने वाले शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति को प्रभावित करने से तत्कालीन सरकार को रोकना था।
एडीआर की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि यह धारा पांच-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले का उल्लंघन है चूंकि दो चुनाव आयुक्त सेवानिवृत्त होने वाले हैं, इसलिए अगर कानून के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाई गई तो याचिका निरर्थक हो जाएगी।
12 जनवरी को कांग्रेस सदस्य जया ठाकुर द्वारा दायर एक याचिका, जिसमें कहा गया था कि अधिनियम की धारा 7 और 8 सीईसी और ईसी की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र तंत्र प्रदान नहीं करती हैं, पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया था। (AK)
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