भारत सरकार किसान आंदोलन से संबंधित कंटेंट शेयर करने पर एक्स एकाउंट और पोस्ट बैन कर रही है
भारत में किसान आंदोलन को रोकने के लिए केन्द्र सरकार जहां पुलिस बल का इस्तेमाल कर रही है वहीं उसने सोशल मीडिया प्लेटफ़ार्म पर भी सक्रियता बढ़ा दी है। पंजाब और हरियाणा के कई इलाक़ों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।
हजारों की संख्या में किसान हरियाणा-पंजाब के बीच शंभू बॉर्डर पर 13 फरवरी से जमा हैं और दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं, 21 फरवरी को खनौरी बॉर्डर पर एक किसान की कथित गोलीबारी में मौत के बाद किसान नेताओं ने दिल्ली कूच को दो दिन के लिए स्थगित कर दिया है।
इसे देखते हुए हरियाणा के सात ज़िलों में 23 फ़रवरी तक इंटरनेट पर प्रतिबंध को बढ़ा दिया है, ये प्रतिबंध राज्य सरकार ने लगाया है, इसमें अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा शामिल है।
सरकार ने इंटरनेट पर प्रतिबंध के अपने आदेश में कहा है कि तनावपूर्ण हालात को देखते हुए और शांति बनाए रखने के लिए इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई है।
पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ गृह मंत्रालय के आदेश पर अस्थायी रूप से 177 सोशल मीडिया अकाउंट और वेब लिंक पर भी रोक लगाई है।
रिपोर्टों के मुताबिक़ किसान आंदोलन समाप्त होने के बाद ये अकाउंट फिर से चालू कर दिए जाएंगे।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स ने भारत सरकार के उस आदेश पर असहमति जताई है, जिसमें कहा गया कि किसान प्रदर्शनों से जुड़ी पोस्ट करने वाले एक्स अकाउंट या पोस्ट को ब्लॉक किया जाए।
एक्स के वैश्विक मामलों को देखने वाले अकाउंट ने भारत सरकार के इस आदेश को लेकर बयान जारी किया है।
इसमें बताया गया है कि भारत सरकार ने आदेश जारी किया है, जिसमें एक्स के कुछ अकाउंट और पोस्टों पर कार्रवाई करने को कहा गया है, कहा गया है कि उन अकाउंट और पोस्ट को ब्लॉक किया जाए क्योंकि ये भारत के क़ानून के मुताबिक़ दंडनीय है।
एक्स का कहना है कि आदेश का पालन करते हुए हम इन अकाउंट और पोस्टों को केवल भारत में ही ब्लॉक करेंगे. हालांकि, हम इससे असहमत हैं और मानते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।
बयान में आगे कहा गया है कि भारत सरकार के आदेश के ख़िलाफ़ हमारे रुख़ वाली एक रिट अपील अब भी पेंडिंग है, हमारी नीति के अनुसार, हमने इन अकाउंट्स के यूज़र्स को सूचना दे दी है, क़ानूनी वजहों से हम भारत सरकार का आदेश शेयर नहीं कर सकते, लेकिन हमारा मानना है कि इस आदेश को सार्वजनिक करना पारदर्शिता के लिहाज से सही है।
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