कांग्रेस ने भाजपा पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया, देश के राजस्व को नुक़सान पहुंचाया
कांग्रेस ने कैग की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए नियमों में बदलाव कर कोयला नीलामी की और इससे राजस्व का भारी नुकसान हुआ।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विपक्षी दल ने यह भी पूछा कि कोयला नीलामी पर चिंता जताने वाले दो भाजपा नेताओं के पत्रों पर सरकार और प्रधानमंत्री ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।
पार्टी ने आगे पूछा कि क्या सरकार इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय "ईडी" को जांच का आदेश देगी।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भाजपा नेता और अब मंत्री आर.के. सिंह और राजीव चंद्रशेखर के पत्र दिखाए, जिनमें 2015 में कुछ कंपनियों के लिए कोयला नीलामी में केवल दो कंपनियों को ब्लॉक के लिए बोली लगाने की अनुमति देने पर चिंता जताई गई थी, जिसके कारण गुटबंदी और राजस्व की हानि हुई।
उन्होंने आरोप लगाया कि बाद में दोनों को मंत्री बना दिया गया और उसके बाद उनकी चिंताओं पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। खेड़ा ने पूछा कि क्या मोदी सरकार ईडी को छापेमारी का आदेश देगी और मिलीभगत तथा भ्रष्टाचार की इस घिनौनी गाथा की जांच करेगी।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री पूरे देश में मोदी की गारंटी की बात कर रहे हैं लेकिन एकमात्र गारंटी जो उन्होंने पूरी की है, वह वही है जो उन्होंने अपने कॉरपोरेट चंदा-दाताओं को दी है, चंदा दो, कोयला लो।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का ‘श्वेत पत्र’ 2014 के कथित ‘कोलगेट’ घोटाले की चर्चा के साथ शुरू हुआ लेकिन असली घोटाला पिछले 10 साल के अन्याय काल में हुआ है।
खेड़ा ने सवाल किया कि जब भाजपा नेता ‘भ्रष्टाचार, धांधली और गुटबाजी’ के बारे में पत्र लिख रहे थे तो प्रधानमंत्री ने उन्हें नजरअंदाज क्यों किया?
खेड़ा ने आगे कहा कि मोदी सरकार 2015 में 41 बिलियन टन से अधिक कोयले वाले 200 से अधिक ब्लॉकों को वितरित करने के लिए एक नई कोयला नीलामी और आवंटन नीति लेकर आई।
उन्होंने दावा किया कि हालांकि 2016 में कैग ने संसद में एक रिपोर्ट पेश की थी जिसमें सबूत दिया गया था कि कोयला नीलामी कितनी संदिग्ध थी। (AK)
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