लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने पर करगिल में अप्रसन्नता जबकि लेह में खुशी
लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बन जाने पर इस क्षेत्र में राजनीतिक दलों की ओर से मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। इस अवसर पर करगिल में नेताओं ने इस दिन को "काला दिवस" के रूप में मनाया जबकि लेह में नेता इसे विकास के एक अवसर के तौर पर देख रहे हैं।
भारत की केंद्र सरकार के पांच अगस्त के फैसले के अनुसार जम्मू व कश्मीर और लद्दाख को विभाजित करके उनको दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया है। इस फैसले के विरोध में करगिल में बुधवार से लगातार बाज़ार बंद हैं। करगिल की राजनीतिक तथा धार्मिक समूहों की संयुक्त कार्रवाई समिति ने 31 अक्टूबर को "काले दिन" के रूप में मनाया।
करगिल पर्वतीय विकास परिषद के पूर्व अध्यक्ष असग़र अली करबलाई ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने पर अप्रसन्नता जताते हुए कहा, ‘‘हम इस फैसले के पूरी तरह खिलाफ हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम लगातार इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। असग़र ने कहा कि पिछले तीन दिनों से लोग सड़कों पर हैं, बाजार बंद हैं और सार्वजनिक वाहन सड़कों से नदारद हैं।’’ करबलाई ने कहा कि करगिल के लोग अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटना ‘‘हमारे हितों के खिलाफ हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह फैसला, लोगों की सहमति के बिना थोपा गया है। उनका कहना था कि अब हमारे पास कोई विधानसभा या शक्तियां नहीं रही।’’ दूसरी ओर करगिल के पूर्व विधान परिषद सदस्य आग़ा सैयद अहमद रिज़वी ने कहा, ‘‘करगिल से भेदभाव किया गया है और उसे फिर किनारे कर दिया गया है। आग़ा रिज़वी ने कहा कि इससे पहले भी हम अलग हुए थे और अब भी हमारी इच्छा के विरुद्ध ऐसा किया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नागरिक, यह विभाजन नहीं चाहते। आग़ा सैयद अहमद रिज़वी का कहना था कि हम एकता और न्याय चाहते हैं। अब जबकि यह विभाजन हो गया है तो करगिल तथा लेह के बीच संतुलन बनाना चाहिए।’’
इसी बीच लद्दाख से भाजपा सांसद जामयांग शेरिंग नामग्याल ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘लद्दाख के लोग पिछले 71 वर्षों से इसका इंतजार कर रहे थे। हम इस क़दम को समावेशी विकास योजना के तौर पर देखते हैं। इस क्षेत्र में पर्यटन के अलावा सीमा सुरक्षा, रक्षा, परिस्थितिकी तंत्र और औषधीय संयंत्रों के लिए असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसे एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने से बुनियादी ढांचा विकास के लिए और अवसर मिलेंगे।’’ )
उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में पुडुचेरी की तरह विधानसभा होगी जबकि लद्दाख में चंडीगढ़ की तरह कोई विधानसभा नहीं होगी और दोनों का नेतृत्व अलग-अलग उपराज्यपाल करेंगे।