सुप्रीम कोर्ट ने दिये जम्मू व कश्मीर मे नाबालिग़ों की हिरासत के जांच के आदेश
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने नाबालिग़ों को हिरासत में लेने के आरोपों की फिर से जांच के आदेश दिए हैं।
उच्चतम न्यायालय ने, जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति को आदेश दिया है कि वह नाबालिग़ों को हिरासत में रखने के आरोपों की नए सिरे से जांच करे। द वायर के अनुसार सुरक्षा बलों पर आरोप है कि उन्होंने इन नाबालिग़ों को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने संबंधी अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले के बाद हिरासत में लिया था।
जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने किशार न्याय समिति से कहा कि वह अपनी रिपोर्ट यथाशीघ्र पेश करे। पीठ ने इसके साथ ही इस मामले को तीन दिसंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया है। पीठ के अनुसार इन आरोपों की नए सिरे से जांच की आवश्यकता है क्योंकि समिति की पहले की रिपोर्ट समयाभाव की वजह से शीर्ष अदालत के आदेश के अनुरूप नहीं थी। शीर्ष अदालत, कश्मीर घाटी में ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से नाबालिग़ों को कथित रूप से हिरासत में लिए जाने का मुद्दा उठाने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
अक्टूबर माह में जम्मू व कश्मीर उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पांच अगस्त से अबतक सुरक्षा कारणों से बहुत से बच्चों को हिरासत में लिया गया है। जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा हटाने के बाद राज्य की मुख्यधारा के नेताओं के साथ बड़े पैमाने पर लोगों को हिरासत में ले लिया गया। इससे पहले किशोर न्याय समिति ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि पांच अगस्त से अबतक 9 से 17 साल के 144 नाबालिगों को सुरक्षा कारणों से हिरासत में लिया गया।
उल्लेखनीय है कि पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को केंद्र सरकार ने ख़त्म कर दिया था। इसके साथ ही सरकार ने राज्य को विभाजित करके दो केंद्रशासित प्रदेश, जम्मू कश्मीर और लद्दाख बनाने की घोषणा की थी जिसे व्यवहारिक रूप दिया जा चुका है।