संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार आयोग की भारत से मांग, सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने की वजह से गिरफ़्तार हुए लोगों को तुरंत रिहा करो
(last modified Sat, 27 Jun 2020 14:15:47 GMT )
Jun २७, २०२० १९:४५ Asia/Kolkata
  • संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार आयोग की भारत से मांग, सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने की वजह से गिरफ़्तार हुए लोगों को तुरंत रिहा करो

संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार के माहिरों ने भारत सरकार से उन लोगों को तुरंत रिहा करने की मांग की है जिन्हें पिछले साल विवादित नागरिकता संशोधित क़ानून सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने पर गिरफ़्तार किया गया।

संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार आयोग ओएचसीएचआर के कार्यालय से शुक्रवार को जारी बयान में आया हैः इन संघर्षकर्ताओं में जिनमें बहुत से स्टूडेंट हैं, लगता है उन्हें सिर्फ़ सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन और इसकी आलोचना करने का अधिकार इस्तेमाल करने की वजह से गिरफ़्तार किया गया है।

ओएचसीएचआर ने कहा है कि उनकी गिरफ़्तारी लगता है भारत की सिविल सोसायटी को कड़ा संदेश देने के लिए है कि सरकारी नीतियों की आलोचना बर्दाश्त नहीं होगी।

ग़ौरतलब है कि सीएए के ख़िलाफ़ देशव्यापी प्रदर्शन के दौरान फ़रवरी में राजधानी नई दिल्ली में दंगे फूट पड़े थे जिसमें 53 लोग मारे गए। मारे जाने वालों में ज़्यादातर मुसलमान थे।

नई दिल्ली दंगों के संबंध में सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों में बहुत से लोगों को गिरफ़्तार किया गया और बाद में उन पर कठोर क़ानून यूएपीए के तहत चार्ज लगाया गया।

संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार के माहिरों ने कहा है कि पुलिस नफ़रत और हिंसा भड़काने के मुल्ज़िम भाजपा नेताओं और समर्थकों के ख़िलाफ़ कार्यवाही करने में नाकाम रही।

संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार के माहिरों ने अपने बयान में कहा कि गिरफ़्तार होने वालों में 11 केस ऐसे हैं जिन्हें हिरासत में यातना दिए जाने और उनके ख़िलाफ़ मानवाधिकार के गंभीर उल्लंघन का इल्ज़ाम है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार के माहिरों ने कहा कि सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों में सबसे ख़ौफ़नाक केस गर्भवती स्टूडेंट सफ़ूरा ज़र्गर का है जिन्हें दो महीने से ज़्यादा जेल में रखा गया।

इन माहिरों का कहना है कि इन 11 लोगों की गिरफ़्तारी भी पक्षपात की भावना से प्रेरित लगती है।

भारतीय कार्यकर्ता भी भाजपा सरकार पर राजनैतिक विरोधियों और मुसलमानों को कोरोना वायरस के दौरान निशाना बनाने के लिए क़ानूनी उपायों तक पहुंच को सीमित करने का इल्ज़ाम लगा चुके हैं। (MAQ/N)

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