क्या पैगोंग सो, डेपसांग में अब भी हैं चीनी सैनिक? मोदी सरकार और भारतीय मीडिया अपने ही देश के लोगों से क्यों छिपा रहे हैं सच?
(last modified Mon, 20 Jul 2020 03:20:15 GMT )
Jul २०, २०२० ०८:५० Asia/Kolkata
  • क्या पैगोंग सो, डेपसांग में अब भी हैं चीनी सैनिक? मोदी सरकार और भारतीय मीडिया अपने ही देश के लोगों से क्यों छिपा रहे हैं सच?

लद्दाख में चल रही डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के प्रारंभिक वेरिफ़िकेशन के बाद भारतीय एजेंसियों को पता चला है कि हॉट स्प्रिंग्स, पैंगोंग सो और डेपसांग की अहम जगहों पर अभी भी चीनी सैनिक मौजूद हैं।

इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों से अख़बार को पता चला है कि कई जगहों से चीनी सैनिकों की पहले के मुक़ाबले में संख्या कम तो हुई है लेकिन कुछ जगहों पर भारत की मोदी सरकार और इस देश के मीडिया के दावों और ज़मीनी सच्चाई में अंतर देखा गया है। समाचार पत्र के मुताबिक़, वेरिफ़िकेशन करने पर पता चला है कि हॉट स्प्रिंग के पास पट्रोल पॉइंट 15 पर चीनी तंबू और ढांचे लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के कम से कम दो किलोमीटर भीतर तक अभी भी बने हुए हैं। एक अधिकारी ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि, "पट्रोल पॉइंट 15 से पीछे हटने पर चीनी सैनिक राज़ी हुए थे लेकिन ज़मीनी सच्चाई की जांच करने पर पता चला कि वे अभी भी लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के दो किलोमीटर भीतर मौजूद हैं।" उन्होंने बताया कि हाल में कमांडर-लेवल की बातचीत के चौथे दौर में भारत ने डेपसांग और पैंगोंग सो के मुद्दे पर बात की है।

याद रहे कि भारत चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने को लेकर दोनों देशों के उच्च अधिकारियों के बीच हाल में ही वार्ता हुई थी जिसमें दोनों देशों के बीच डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति बनी थी। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया अपने आप में जटिल काम है और इस कारण इसमें कुछ देरी हो सकती है। हालांकि आपसी भरोसा बढ़ाने के लिए दोनों देश हॉट स्प्रिंग्स पर अपने सैनिकों की संख्या पचास-पचास तक करने और बाक़ी सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमत हुए हैं। इस समाचार पत्र का कहना है कि, भारतीय अधिकारियों का कहना है कि गलवान घाटी और गोगरा में चीनी सैनिकों की संख्या में बड़ी कमी देखी गई है। इस बीच सूत्रों का कहना है कि जिस अंदाज़ से भारत की मोदी सरकार और इस देश का मीडिया यह दावा कर रहा है कि चीनी सैनिक सीमा से काफ़ी पीछे चले गए हैं तो उस दावे में किसी भी तरह की कोई सच्चाई देखने को नहीं मिल रही है। भारत के कई टीकाकारों का कहना है कि उन्हें अब तक एक बात समझ में नहीं आई है कि मोदी सरकार और भारतीय मीडिया चीनी सैनिकों की घुसपैठ के मामले में अपने ही देश के लोगों के सामने सच बोलने से क्यों बच रहे हैं? (RZ)

 

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