जलते हुए घर, हत्याएं, बलात्कार...भारत में मुसलमानों पर नियोजित हमलों की तसवीर पेश करने वाली रिपोर्ट
भारत में दिल्ली सरकार की अल्पसंख्यक कमेटी ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट जारी कर दी है। इस रिपोर्ट में लिखी बातों को पढ़कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
नागरिक संशोधन क़ानून सीएए के ख़िलाफ़ मुसलमानों के प्रदर्शनों के दौरान उन पर होने वाले हमलों के इतने भयानक रूप इस रिपोर्ट में नज़र आते हैं कि कहीं कहीं तो यह लगता है जैसे यह भारत नहीं बल्कि सभ्यता से दूर किसी समाज की घटनाएं हैं।
130 पृष्ठों की रिपोर्ट में कहा गया है कि मुसलमानों के साथ खुलकर भेदभाव किया जा रहा है और उनके अधिकारों का हनन बहुत बड़े पैमाने पर हो रहा है।
अल्पसंख्यकों की दिल्ली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भाजपा नेता कपिल मिश्रा के ज़हरीले भाषण से हिंसा और तेज़ हुई जबकि उनके ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं की गई। यही नहीं जब कपिल मिश्रा हिंसा भड़काने वाला भाषण दे रहे थे तो उनके पास ही दिल्ली पुलिस के उप प्रमुख मौजूद थे। उस समय दूसरे भी कई भाजपा नेताओं ने इसी प्रकार के बयान दिए थे।
रिपोर्ट में ज़ोर देकर कहा गया है कि सीएए के ख़िलाफ़ प्रदर्शन पूरी तरह क़ानूनी थे लेकिन मुसलमानों पर चरमपंथी हिदुंओं ने पुलिस के संरक्षण में हमला किया। लगभग एक हज़ार लोगों के समूह ने मुसलमानों के घरों और दुकानों को निशाना बनाया उनकी गाड़ियों और मस्जिदों पर हमले किए और उनका सामान लूटा। जब हिंसा का यह नंगा नाच हो रहा था तो मुसलमानों के ख़िलाफ़ खूब नारे लगाए जा रहे थे और पुलिस खड़ी तमाशा देख रही थी।
चरमपंथियों ने मुस्लिम महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया और जब लोगों ने पुलिस से मदद मांगी तो पुलिस ने कोई भी मदद करने से साफ़ इंकार कर दिया।
चरमपंथियों ने जब जमकर हिंसा फैला दी और ख़ूब हमले कर लिए तो फिर पुलिस ने अपने संरक्षण में उन्हें वहां से बाहर निकाला।
रिपोर्ट में दिल्ली की राज्य सरकार और केन्द्र सरकार से मांग की गई है कि अल्पसंख्कों को हिंसा से बचाने के लिए उचित क़ानून बनाएं और पुलिस से भी जवाब तलब करें। रिपोर्ट में सरकार से मांग की गई है कि पीड़ितों की समस्याओं का निदान करने के लिए एक और कमेटी बनाई जाए और उन्हें तत्काल हरजाना अदा किया जाए।
दिल्ली अल्पसंख्या कमेटी का गठन 1999 में किया गया था जिसका काम अल्पसंख्यकों के हितों और अधिकारों की रक्षा करना है।
स्रोतः अलजज़ीरा