दिल्ली दंगों में पुलिस की मिलीभगत थीः मानवाधिकार संगठन एम्नेस्टी इंटरनैश्नल
मानवाधिकार संगठन एम्नेस्टी इंटरनैश्नल ने भारतीय पुलिस पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ दंगों में दगांइयों के साथ कथित मिलीभगत की बात कही है।
इस संगठन ने भारत सरकार से पुलिस की ओर से मानवाधिकार के कथित उल्लंघन की जाँच की मांग की है।
एम्नेस्टी इंटरनैश्नल भारत की ओर से की गयी जाँच के मुताबिक़, दिल्ली में फ़रवरी में हुए दंगों में पुलिस ‘सहापराधी और सक्रिय रूप से भागीदार’ थी। इन दंगों में 53 लोग मारे गए जिनमें ज़्यादातर मुसलमान थे।
एम्नेस्टी इंटरनैश्नल ने शुक्रवार को बयान में कहाः फ़रवरी 2020 में दिल्ली में फूटी हिंसा में दिल्ली पुलिस के जवान सहापराधी और सक्रिय रूप से भागीदार थे फिर भी छह महीने के बाद भी दिल्ली पुलिस के ख़िलाफ़ मानवाधिकार के उल्लंघन का एक केस भी दर्ज नहीं हुआ।
एम्नेस्टी इंटरनैश्नल ने इस जाँच के दौरान दंगे में ज़िन्दा बचे हुए लोगों, गवाहों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और रिटायर्ड पुलिस अफ़सरों से बातचीत की और यूज़र्स की ओर से बनाई गई अनेक वीडियो क्लिप की समीक्षा में, “दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस द्वारा मानवाधिकार के ख़तरनाक उल्लंघन का निराशाजनक पैटर्न” सामने आया।
मानवाधिकार संगठन ने भारत सरकार से दिल्ली में दशकों के सबसे बुरी धार्मिक हिंसा में पुलिस की ओर से मानवाधिकार के कथित उल्लंघन की विस्तार से निष्पक्ष जाँच करने की मांग की।
एम्नेस्टी इंटरनैश्नल इंडिया के कार्यकारी निदेशक अविनाश कुमार ने एक बयान में कहाः दिल्ली पुलिस गृह मंत्रालय को रिपोर्ट करती है और अफ़सोस की बात है कि अब तक गृह मंत्रालय की ओर से दिल्ली पुलिस को ज़िम्मेदार ठहराए जाने की कोई कोशिश नहीं हुयी।
ग़ौरतलब है कि भारत में विवादास्पद नागरिक क़ानून पास होने के ख़िलाफ़, पूर्वोत्तरी दिल्ली में हफ़्तों चले धरना प्रदर्शन के बाद, फ़रवरी में दिल्ली में दंगे फूट पड़े। इन दंगों में 500 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे।
सरकार की ओर से दी गयी दंड-मुक्ति
एम्नेस्टी इंटरनैश्ल ने अपनी जाँच में पुलिस द्वारा कथित रूप से उल्लंघन में प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ बहुत ज़्यादा बल प्रयोग, हिरासत में पीड़ा दिए जाने और प्रदर्शन स्थल के तबाह किए जाने का पर्दाफ़ाश किया है।
पुलिस और सरकार ने इन इल्ज़ाम को ख़ारिज किया है।
अविनाश कुमार ने कहाः “सरकार की ओर से दी गयी दंड-मुक्ति से यह संदेश जाता है कि क़ानून के रखवाले मानवाधिकार का भयानक उल्लंघन कर सकते और ज़िम्मेदारी से बच सकते हैं। वे ख़ुद ही क़ानून हैं।”
रिपोर्ट मिलने तक दिल्ली पुलिस की ओर से एम्नेस्टी इंटरनैश्नल की इस रिपोर्ट पर कोई रिएक्शन सामने नहीं आया था। (MAQ/N)
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