लद्दाख़ में पैर जमाता चीन, लंबा समय बिताने की तैयारियां ज़ोरों पर, भारतीय एजेंसियों को इन तैयारियों की नहीं लगी भनक
लद्दाख़ में चीन अब संचार लाइनें बिछा रहा है। दो भारतीय अधिकारियों ने कहा है कि इलाक़े में चीनी सैनिक ऑप्टिकल फाइबर तारों का एक नेटवर्क बिछा रहे हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि वह वहां लंबा समय बिताने की तैयारी कर रहा है।
प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, चीन लद्दाख़ में लगातार अपना पैर जमाता जा रहा है। इस बीच उसने लद्दाख़ के सीमावर्ती क्षेत्र में संचार लाइनें बिछाना आरंभ कर दी हैं। यह ऑप्टिकल फाइबर अग्रणी सैनिकों को पीछे की तरफ स्थित सैन्य अड्डों से सुरक्षित संचार लाइनें देने का काम करेगा। एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने कहा है कि इस तरह के ऑप्टिकल फाइबर केबल को पैंगोंग झील के दक्षिण की ओर देखा गया है। पैंगोंग झील के दक्षिण की तरफ़ क़रीब 70 किलोमीटर लंबे एक मोर्चे पर हज़ारों भारतीय और चीनी सैनिकों और टैंकों के बीच गतिरोध बना हुआ है। दोनों देश एक दूसरे पर गतिरोध को और बढ़ाने का आरोप लगा रहे हैं। एक अन्य भारतीय अधिकारी ने बताया कि पिछले हफ्ते दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाक़ात के बावजूद किसी भी तरफ से कोई विशेष पीछे हटने की कार्रवाई नहीं हुई है। अधिकारी ने कहा, "तनाव अभी भी वैसा ही है जैसा पहले था।" लद्दाख के मुख्य शहर लेह के ऊपर भारतीय लड़ाकू विमान लगातार उड़ान भरते रहे।
इस बीच एक भारतीय अधिकारी का कहना है कि, "हमारी सबसे बड़ी चिंता यह है कि चीन ने तेज़ रफ्तार संचार के लिए ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछा लिए हैं।" अधिकारी ने कहा कि, भारतीय गुप्तचर एजेंसियों ने इसी तरह के केबल लगभग एक महीने पहले झील के उत्तर में भी देखे थे। अधिकारी कहा कि हमे इसका पता तब चला जब सैटेलाइट से प्राप्त चित्रों में झील के दक्षिण में रेत में विचित्र रेखाएं दिखाई दीं। भारतीय विशेषज्ञों ने इन रेखाओं की पड़ताल की और विदेशी एजेंसियों से भी उनकी पुष्टि करवाई और उसके बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि यह संचार लाइनें हैं। भारतीय अधिकारी के अनुसार इन तारों को गड्ढों में बिछाया गया है, जहां इन्हें बिछाया गया है उन स्थानों में स्पंगगुर गैप भी शामिल है, जहां हाल में कई दशकों में पहली बार दोनों सेनाओं के बीच गोलीबारी भी हुई थी।
वहीं एक भारतीय सैन्य गुप्तचर सेवा के अधिकारी अपना नाम ना बताए जाने की शर्त पर बताया कि ऑप्टिकल फाइबर केबल सुरक्षित संचार सुनिश्चित करने के साथ-साथ तस्वीरें और दूसरी फाइलें भेजने की क्षमता भी देता है। अधिकारी ने बताया, "अगर आप रेडियो पर बात करते हैं तो वो पकड़ी जा सकती है लेकिन ऑप्टिकल फाइबर तारों पर बातचीत सुरक्षित रहती है।" अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना अभी भी रेडियो संचार पर निर्भर है, हालांकि वो एन्क्रिप्टेड है। इसी बीच, चीन के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को इन दावों से इंकार कर दिया। एक समाचार वार्ता में बोलते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेंबिन ने कहा कि चीन और भारत के बीच कूटनीतिक और सैन्य रास्तों के ज़रिए संवाद चलता रहेगा। (RZ)