भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच मोदी करेंगे शी जिनपिंग से मुलाक़ात, क्या इस बैठक से संबंधों पर कोई असर पड़ेगा?
(last modified Tue, 10 Nov 2020 06:20:20 GMT )
Nov १०, २०२० ११:५० Asia/Kolkata
  • भारत-चीन सीमा पर तनाव के बीच मोदी करेंगे शी जिनपिंग से मुलाक़ात, क्या इस बैठक से संबंधों पर कोई असर पड़ेगा?

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 10 नवंबर मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन की वर्चुअल बैठक में मुलाक़ात कर रहे हैं।

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्र प्रमुखों के कॉउन्सिल की बैठक में 20 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व करेंगे। बैठक की अध्यक्षता रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतीन करेंगे। रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान, कज़ाक़िस्तान, किर्ग़िज़स्तान, ताजेकिस्तान और उज़्बेकिस्तान समेत आठों देशों के राष्ट्र प्रमुख बैठक में हिस्सा लेंगे। चार ऑब्ज़र्वर देशों के राष्ट्र प्रमुख भी मौजूद रहेंगे। इनमें ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, बेलारूस और मोंगोलिया शामिल हैं। यह संगठन की पहली वर्चुअल बैठक होगी। राष्ट्र प्रमुखों की बैठक संगठन का मुख्य हिस्सा है और इसी में तय होता है कि अगले साल संगठन का अजेंडा और मुख्य लक्ष्य क्या होंगे।

जानकारों का कहना है कि लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ कई महीनों से चल रहे तनाव के बीच आयोजित होने वाली बैठक में भारत को स्थिति में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश करने का मौक़ा मिलेगा। भारत इससे पहले भी एससीओ के बैनर तले ही विवाद को सुलझाने का प्रयास कर चुका है। सितंबर में भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस की राजधानी मॉस्को गए थे, जहां एससीओ की ही बैठकों के तहत दोनों की मुलाक़ात चीन के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री से हुई थी। जानकारों का मानना है कि लद्दाख में मौजूदा गतिरोध को सुलझाने के लिए भारत प्रत्यक्ष रूप से तो किसी भी तीसरे देश को बीच में नहीं ला रहा है, लेकिन चूंकि सिर्फ रूस ही एक ऐसी बड़ी शक्ति है जिसके दोनों देशों से दोस्ताना संबंध हैं, इसलिए भारत रूस के ज़रिए बैक-चैनल डिप्लोमेसी की कोशिश कर रहा है।

भारत-सीमा के गलवान क्षेत्र में मुठभेड़ को पांच महीने बीत चुके हैं लेकिन उसके बाद सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं ने हज़ारों सैनिकों और सैन्य उपकरण की जो तैनाती कर दी थी वह वैसी की वैसी है। भारत के लिए काफ़ी बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि सर्दियां शुरू हो गई हैं और अगर गतिरोध चलता ही रहा वह उस बर्फीले इलाक़े में सर्दियों का पूरा मौसम काटना भारतीय सेना के जवानों के लिए अत्यंत कठिन हो जाएगा। संभव है कि भारत ऐसी स्थिति आने से पहले समाधान के रास्ते खोज रहा हो। हालांकि चीन ने अभी तक नरमी का कोई भी संकेत नहीं दिया है। हाल ही में दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर पर बातचीत का आठवां दौर भी पूरा हुआ लेकिन उसका भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। (RZ)

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