कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों का आंदोलन, “दिल्ली चलो” के बजाए “दिल्ली घेरो” नया नारा
केंद्र के नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में किसानों के प्रदर्शन जारी हैं।
इन प्रदर्शनों में हजारों की संख्या में किसान शामिल हैं और सरकार से नए कृषि क़ानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं। आंदोलनरत किसानों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सशर्त बातचीत के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया है। किसानों के आंदोलन के 5 दिन बाद भी किसानों का ग़ुस्सा कम नहीं हो रहा है। वे न तो दिल्ली पुलिस द्वारा तय किए गए प्रदर्शन स्थल पर जा रहे हैं और न ही दिल्ली बॉर्डर से हट रहे हैं। किसानों ने सड़क पर ट्रॉलियों को ही घर बना लिया है। किसानों का नया नारा अब “दिल्ली चलो” के बजाए “दिल्ली घेरो” है।
किसानों ने कहा है कि वे अब दिल्ली के पांच स्थानों पर धरना देंगे। उन्होंने कहा है कि हम काला क़ानून रद्द करने आए हैं और हम दिल्ली की सारे बॉर्डर बंद करेंगे। किसानों ने कहा कि हमारे पास छः महीने तक का राशन है और हमें सरकार के खाने की ज़रूरत नहीं है। आंदोलन कर रहे किसानों का कहना था कि वोट मांगने के लिए गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के पास समय है लेकिन हम लोगों से मिलने के लिए नहीं है। किसानों की मांग है कि सरकार बिना शर्त उनसे बातचीत करे और उन्हें रामलीला मैदान या जंतर-मंतर पर आंदोलन करने की इजाज़त दे।
इस बीच किसान आंदोलन को लेकर रविवार रात को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर बड़ी बैठक हुई। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद थे। इस बैठक में किसान आंदोलन को लेकर चर्चा हुई और सारे हालात की समीक्षा की गई। बैठक लगभग दो घंटे तक चली। किसानों की ओर से सशर्त वार्ता का प्रस्ताव ख़ारिज किए जाने के बाद यह बैठक आयोजित हुई। (HN)
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