उत्तर प्रदेश में तानाशाही अपने चरम पर, सीएए-एनआरसी के बाद अब किसान आंदोलनकारियों को मिले नोटिस
भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अब ऐसा लगने लगा है कि जैसे भारत का संविधान नहीं बल्कि किसी राजा महाराजा का अपना बनाया क़ानून चलता है। पिछले दिनों मोदी सरकार द्वारा बनाए गए विवादित नागरकिता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए आंदोलन में शामिल लोगों की जिस तरह परेशान किया जा रहा है वह बात किसी से छिपी नहीं है। अभी भी सीएए और एनआरसी के आंदोलनकारियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही का सिलसिला लगातार जारी है, वहीं इस बीच अब योगी सरकार ने किसानों को भी टार्गेट करना शुरू कर दिया है।
भारत के अंग्रेज़ी भाषा के समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, मोदी सरकार द्वारा बनाए गए तीन नए विवादित कृषि क़ानूनों के विरोध में किसानों को भड़काने के आरोप में उत्तर प्रदेश के किसान नेताओं को इस राज्य की योगी आदित्यानाथ सरकार ने नोटिस जारी किया है। योगी की इस नोटिस पर किसान नेताओं का कहना है कि यह नोटिस लोकतांत्रिक प्रदर्शन का गला घोंटने वाला है। उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले के 6 किसान नेताओं मुख्य रूप से भारतीय किसान यूनियन (असली) के पदाधिकारियों को 50 लाख रुपये (प्रति किसान) के नोटिस भेजे गए थे। पांच लाख रुपये (प्रति किसान) का हर्जाना भरने के इसी तरह के नोटिस 6 अन्य किसानों को भी भेजे गए थे। यह नोटिस सीआरपीसी की धारा 111 के तहत 12 और 13 दिसंबर को जारी किए गए थे। स्थानीय प्रशासन का यह भी कहना है कि अभी और नए नोटिस भी जारी किए जाएंगे। योगी सरकार की ओर से एक के बाद एक मिल रहे नोटिस पर किसान नेताओं का कहना है कि वह इन नोटिसों का जवाब देने से अच्छा जेल जाना पसंद करेंगे।
किसान नेताओं का कहना है कि हमे रोकने के लिए यह नोटिस जारी किए जा रहे हैं, जबकि हमारा आंदोलन पूरी तरह से अहिंसक है। प्रशासन किसानों के प्रदर्शन से इतना क्यों डरा हुआ है? हमारे साथ आंतकियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है, हमे पचास लाख रुपये का नोटिस भेजा जा रहा है, जबकि सरकार जानती है कि हम ग़रीब किसानों के पास इतना पैसा नहीं है। राष्ट्रीय किसान मज़दूर संघर्ष के राजवीर सिंह का कहना है, ‘पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं लेकिन कहीं नहीं सुना होगा कि प्रशासन उन्हें धमकाने के लिए 50 लाख रुपये का मुचलका भरवा रहा है, लेकिन उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र समाप्त हो चुका है यहां तो राजा की सरकार है जितना चाहे वह अत्याचार करे कोई कुछ नहीं कह सकता है, यह सरासर उत्पीड़न है। बता दें कि जिन छह किसानों को नोटिस दिया गया, उनमें भारतीय किसान यूनियन (असली), संभल के ज़िला अध्यक्ष राजपाल सिंह यादव के अलावा जयवीर सिंह, ब्रह्मचारी यादव, सतेंद्र यादव, रौदास और वीर सिंह शमिल हैं। इन्होंने मुचलका भरने से इनकार कर दिया है। यादव ने कहा, ‘हम ये मुचलके किसी भी हालत में नहीं भरेंगे, चाहे हमें जेल हो जाए, चाहे फांसी हो जाए। हमने कोई गुनाह नहीं किया है, हम अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं। (RZ)
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