एसडीएमसी का तानाशाही फ़रमान, हलाल मीट है या झटके का, बताना होगा ज़रूरी, कारोबारियों में चिंता, वजह सामने आ गयी...
(last modified Sun, 24 Jan 2021 02:33:35 GMT )
Jan २४, २०२१ ०८:०३ Asia/Kolkata
  • एसडीएमसी का तानाशाही फ़रमान, हलाल मीट है या झटके का, बताना होगा ज़रूरी, कारोबारियों में चिंता, वजह सामने आ गयी...

भाजपा शासित दक्षिणी दिल्ली नगर निगम “एसडीएमसी” ने मीट बेचने और परोसने वाली सभी दुकानों और रेस्टोरेंटों से यह बताना अनिवार्य कर दिया है कि वे ‘हलाल’ मीट परोसते हैं या ‘झटका’ मीट।

एसडीएमसी का यह आदेश केंद्र सरकार द्वारा संचालित कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण “एपीईडीए” द्वारा ‘हलाल’ शब्द को ‘रेड मीट मैनुअल’ से हटाने का निर्देश देने के करीब दो हफ़्ते बाद आया है।

‘हलाल’ प्रक्रिया में जानवर को इस्लामी तरीके से ज़िबह किया जाता है, वहीं झटका’ एक और प्रक्रिया है, जिसका इस्तेमाल अमूमन गैर मुस्लिमों द्वारा किया जाता है।

एसडीएमसी के इस आदेश में रेस्टोरेंट मालिकों में भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है, जबकि मीट कारोबारियों को नहीं समझ में आ रहा है कि इसका उद्देश्य क्या है।

चूंकि अधिकांश मुसलमान केवल ‘हलाल’ तरीके से काटे जाने वाले मांस का उपभोग करते हैं, इसलिए कई लोगों का मानना है कि उनके भोजन की प्राथमिकता के आधार पर दो समुदायों के बीच स्पष्ट विभाजन करने का आदेश जारी किया गया है।

एसडीएमसी में सदन के नेता नरेंद्र चावला ने गुरुवार को घोषणा करते हुए कहा कि लोगों को यह जानने का अधिकार है कि वे क्या खा रहे हैं और इसे कैसे परोसा जाता है, हमने सभी रेस्तरां और दुकानों में मांस परोसने के लिए ‘हलाल’ मांस या ‘झटका’ मांस लिखना अनिवार्य कर दिया है. हम पंजीकृत रेस्तरां को (इस संबंध में) लिखेंगे।

एसडीएमसी हाउस द्वारा पारित प्रस्ताव में चेतावनी दी गई कि नियमों की धज्जियां उड़ाने वालों के ख़िलाफ़ कार्यवाही की जाएगी।

यह आदेश हिंदू समूहों द्वारा शिकायत के बाद आया था कि मैनुअल में ‘हलाल’ शब्द का उपयोग करने का अर्थ है कि एपीईडीए निर्यातकों को केवल ‘हलाल’-प्रमाणित मांस खरीदने और प्राप्त करने के लिए अनिवार्य बना रहा था. विश्व हिंदू परिषद (विश्व हिंदू परिषद) उन संगठनों में से था, जिन्होंने यह मांग उठाई थी। (AK)

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