अमित शाह के चुनिंदा अफसरों ने ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हिंसा कराईः दिगविजय सिंह
दिग्विजय सिंह का कहना है कि किसानों की 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान अमित शाह ने चुनिंदा अधिकारियों ने दिल्ली में हिंसा कराई।
मध्य प्रदेश के पूर्वी मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने बुधवार को कहा है कि देश के गृहमंत्री के चुनिंदा अधिकारियों ने 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा करवाई।
दिगविजय सिंह ने कहा कि किसानों के आन्दोलन को बदनाम करने के लिए यह केन्द्र सरकार की सुनियोजित साज़िश थी। उज्जैन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली में हिंसा, गृहमंत्री अमित शाह की ओर से कराई गई। उन्होंने कहा कि हिंसा फैलाने वाले प्रदर्शनकारी, खालिस्तानी या पाकिस्तानी नहीं थे बल्कि वे अमित शाह के चुनिंदा सरकारी अधिकारी थे।
दिग्विजय सिंह ने दीप सिद्धू की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक आरोपी बीजेपी सांसद सनी देओल का करीबी पाया गया है और उसकी तस्वीरें, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हैं। दिगविजय का कहना था कि यह सबकुछ दिल्ली में किसानों की रैली को स्थगित करने के लिए केंद्र सरकार का एक प्रायोजित कार्यक्रम था।
इसी बीच कांग्रेस ने किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा को लेकर कहा है कि यह एक सुनियोजित साजिश थी और इसके लिए गृह मंत्री अमित शाह जिम्मेदार हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गृह मंत्री अमित शाह को तत्काल बर्खास्त करना चाहिए। सुरजेवाला ने संवाददाताओं से कहा कि देश की राजधानी में किसान आंदोलन की आड़ में हुई सुनियोजित हिंसा व अराजकता के लिए सीधे-सीधे गृहमंत्री अमित शाह जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में सारी खुफिया इनपुट के बावजूद हिंसा के तांडव को रोक पाने में नाकामी के चलते उन्हें एक पल भी अपने पद पर बने रहने का हक नहीं है।
सुरजेवाला ने कहा कि आजादी के 73 सालों में यह पहला मौका है जब कोई सरकार, लाल किले जैसी राष्ट्रीय धरोहर की सुरक्षा करने में बुरी तरह नाकाम रही। उन्होंने कहा कि किसानों के नाम पर साज़िश के तहत चंद उपद्रवियों को लाल किले में घुसने दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के करीबी दीप सिद्धू की पूरे समय लाल किले में मौजूदगी किसान आंदोलन को बदनाम करने की सुनियोजित साजिश है।
कांग्रेस नेता ने यह आरोप भी लगाया कि अमित शाह के इशारे पर दिल्ली पुलिस ने उपद्रवियों की अगुआई कर रहे दीप सिद्धू व उनके गैंग की बजाय संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करके उपद्रवियों के साथ भाजपा सरकार की मिलीभगत व साजिश को खुद ही बेनकाब कर दिया है।
सुरजेवाला ने दावा किया कि मोदी सरकार जब उन्हें बलपूर्वक नहीं हटा पाई, तो छलपूर्वक हटाने का षडयंत्र करने लगी। पहले 'प्रताड़ित करो और परास्त करो की नीति, फिर मीटिंग पर मीटिंग कर थका दो और भगा दो की नीति, फिर किसानों में 'फूट डालो और आंदोलन तोड़ो की नीति, अब उनका अंतिम छल है।
उन्होंने सवाल किया कि जो किसान पिछले 63 दिन से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे थे, अचानक से ऐसा क्या हुआ जो वे इतना बिफर गए? कांग्रेस महासचिव ने कहा कि किसानों को अगर हिंसा ही करनी होती तो वो 63 दिन से हाड़ कंपकपाती सर्दी में दिल्ली की सीमाओं पर लाखों की संख्या में क्यों बैठते? उन्होंने कहा कि केवल 30 से 40 ट्रैक्टर लेकर उपद्रवी लाल किले में कैसे घुस पाए? यह किसकी असफलता है? इसका जिम्मेदार कौन है?
सूरजेवाला ने पूछा कि हिंसा का वातावरण बनाकर क्या यह सबकुछ किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश तो नहीं है? क्या यह काम दिल्ली दंगों, शाहीन बाग़, सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध कार्यवाहियों और जेएनयू दिल्ली विश्वविद्यालय प्रकरण की पुनरावृत्ति तो नहीं है?