ईरान ने गेंद यूरोप के पाले में डाल दी..
तेहरान पर लगे प्रतिबंधों को उठाने के संबंध में ईरान की वार्ता टीम के सलाहकार ने यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रभारी के हालिया दावे के बारे में कहा कि इस्लामी गणतंत्र ईरान संभावित समझौते में ख़ामियों और अस्पष्टताओं को स्वीकार नहीं करेगा।
यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख "जोसेफ बोरेल" ने सोमवार को अमरीका को जेसीपीओए के उल्लंघनकर्ता के रूप में बताए बिना कहा कि उन्हें जेसीपीओए को पुनर्जीवित करने के लिए वियना में एक समझौते तक पहुंचने की उम्मीद कम है। उनका कहना था कि ईरान के परमाणु समझौते पर वार्ता दृष्टिकोणों के निकट होने के बजाए अधिक दूर होती जा रही है।
इस्लामी गणतंत्र ईरान की वार्ताकार टीम में शामिल सलाहकार मुहम्मद मरंदी ने इन बयानों के बारे में ट्वीट किया कि बोरेल अमरीका के घटक हैं और यह भूल जाते हैं कि इन वार्ताओं का मक़सद पश्चिम द्वारा जेसीपीओए का उल्लंघन और ईरानी नागरिकों को लक्षित करने वाले अधिकतम प्रतिबंध हैं।
उनका कहना था कि यह प्रतिबंध एसी हालत में हैं कि ईरान परमाणु समझौते पर पूरी तरह प्रतिबद्ध है, ईरान ख़ामियों, शून्यों और अस्पष्टताओं को स्वीकार नहीं करेगा और अमरीका, यूरोपीय संघ पर ख़र्चे लाद रहा है।
31 अगस्त को यूरोपीय संघ की विदेश नीति के प्रमुख ने "आने वाले दिनों" में एक समझौते पर पहुंचने की उम्मीद जताई थी।
वास्तव में बोरेल के कल के बयान को पिछले सप्ताह अमरीकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा दिए गए बयानों के अनुरूप देखा जा सकता है जिन्होंने जेसीपीओए समझौते पर लौटने के लिए यूरोपीय संघ द्वारा प्रस्तावित मसौदे पर ईरान की प्रतिक्रिया को "असंरचित" बताया था। शुक्रवार को वाइट हाउस के प्रवक्ता ने यूरोपीय संघ द्वारा प्रस्तावित मसौदे पर ईरान की प्रतिक्रिया के जवाब में कहा था कि ईरान को अपने सुरक्षा उपायों के दायित्वों पर जेसीपीओए को पुनर्जीवित करने की शर्त नहीं रखनी चाहिए।
अमरीका पर विश्वास के ख़राब इतिहास और जेसीपीओए के ढांचे के भीतर अपनी प्रतिबद्धताओं को लागू करने में यूरोपीय संघ की निष्क्रियता को ध्यान में रखते हुए ईरान ने वियना में वार्ता के इस दौर की शुरुआत में भी बल दिया था कि किसी भी संभावित समझौते की शर्त यह होनी चाहिए कि भविष्य में ईरान के ख़िलाफ दबाव की नीति न आपनाई जाए, स्थायी रूप से प्रतिबंधों को हटाया जाए और ईरान के आर्थिक हितों की गैरेंटी दी जाए। (AK)
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