Jun २६, २०२४ २१:४५ Asia/Kolkata
  • 70 फ़ीसद ईरानी परमाणु बन बनाने का समर्थन करते हैं, सर्वे

एक नए सर्वे के मुताबिक़, पश्चिमी देशों के दबाव और प्रतिबंधों के बावजूद, 70 फ़ीसदी ईरानी अपने देश को परमाणु शक्ति बनाने का समर्थन करते हैं।

अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के परमाणु समझौते से निकलने के 6 साल बाद और उनके उत्तराधिकारी जो बाइडन के फिर से इस समझौते में वापस नहीं लौट पाने के 4 साल बाद, ईरान के बारे में अमरीका की कोई स्पष्ट और तार्किक नीति नहीं है।

पार्सटुडे की रिपोर्ट के मुताबिक़, अमरीकी मैगज़ीन द अमेनिकन कंज़र्वेटि ने ईरान को लेकर अमरीकी नीतियों की आलोचना करते हुए लिखा हैः अगर सफलता का पैमाना ईरान की परमाणु क्षमता को नकारने से तय होता है, तो यह नीति विफल हो गई है, क्योंकि ईरान बेहद सक्षम हो चुका है।

मैगज़ीन ने आगे लिखाः पश्चिमी देशों की धमकियों से आजिज़ आकर, ईरान एनपीटी से निकल सकता है, आईएईए के अधिकारियों को देश से निकाल सकता है और अपनी शक्ति को बढ़ाने के लिए परमाणु हथियार भी बना सकता है।

इस तरह के क़दम का ईरान की जनता और विशेषज्ञ स्वागत कर सकते हैं, क्योंकि वह अपने देश और दूसरे देशों पर पश्चिम के अत्याचार देख रहे हैं।

एक नए सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक़, पश्चिमी देशों के दबाव और प्रतिबंधों के बावजूद, 70 फ़ीसदी ईरानी अपने देश को परमाणु शक्ति बनाने का समर्थन करते हैं। अमरीका स्थित आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के केल्सी डेवनपोर्ट के अनुसार, अगर ईरान पश्चिमी दबाव के जवाब में हथियारों के  उत्पादन के ग्रेड का यूरेनियम संवर्धन का निर्णय लेता है, तो इसमें सिर्फ़ एक सप्ताह तक का समय लगेगा। इसके बाद ईरान को एक बम बनाने में 6 महीने से 1 साल तक का समय लगेगा। इससे अमरीका के सामने एक गंभीर दुविधा होगी। वह यह कि परमाणु शक्ति संपन्न ईरान को सहन करे या इसे रोकने के लिए सैन्य कार्यवाही करे?

किसी भी अमरीकी राष्ट्रपति के लिए पहला विकल्प ख़राब और असंभव है, जबकि दूसरे विकल्प के रूप में उसे इराक़ से क़रीब चार गुना बड़े देश पर हमला करना होगा, जिसके पास शक्तिशाली सेना के अलावा क्षेत्र में सैन्य सहयोगी भी हैं, जिसके कारण अमरीका के लिए यह विकल्प आसान नहीं होगा।

मौजूदा हालत से साफ़ है कि ईरान को अलग-थलग करने की पश्चिम की कोशिश, कमज़ोर पड़ती जा रही है। इसके आगे अमरीकी मैगज़ीन लिखता हैः अमरीका के लिए सबसे अच्छा विकल्प, फिर से परमाणु समझौते में शामिल होना या इसी तरह के किसी नए समझौते के लिए वार्ता की शुरूआत करना है। इस तरह से वाशिंगटन अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने मौजूद चुनौतियों पर फ़ोकस कर सकता है। यह चुनौतियं मैक्सिको से लगी सीमा, रूस से रिश्तों में सुधार और अपने एकमात्र प्रतिद्वंद्वी चीन पर ध्यान केन्द्रित करना है। msm

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