ब्रिटेन के जासूस के मृत्युदंड पर पश्चिम की प्रतिक्रिया
ब्रिटेन की सीक्रेट इंटेलिजेंस एजेन्सी MI 6 के जासूस के मृत्युदंड पर पश्चिम की ओर से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
अली रज़ा अकबरी के मृत्युदंघ का विषय ईरान के विरुद्ध पश्चिम की जासूसी पर एक कड़ी चोट साबित हुआ है।
ईरान की न्याय पालिका ने शनिवार को घोषणा की थी कि धरती पर विध्वंसक कार्यवाहियां करने, इस्लामी गणतंत्र ईरान की आंतरिक सुरक्षा के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाहियों और MI 6 के साथ निकट सहयोग के कारण अली रज़ा अकबरी को मृत्यु दंड दिया गया। इसपर ब्रिटेन सहित पश्चिमी देशों की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रिशी सुनक ने ब्रिटिश जासूस अली रज़ा अकबरी के मृत्युदंड पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि इस काम का जवाब ज़रूर दिया जाएगा।
उन्होंने पश्चिम की ओर से किये जाने वाले मानवाधिकारों के हनन की ओर संकेत किये बिना लिखा है कि ईरान की ओर से ब्रिटेन के जासूस को मौत की सज़ा, मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है। ब्रिटेन के विदेशमंत्री ने शनिवार को कहा कि जासूस अली रज़ा अकबरी की मौत की सज़ा की प्रतिक्रिया में हमने तेहरान से अपने राजदूत को अस्थाई तौर पर बुलाया है। इसी के साथ लंदन में ईरान के दूतावास प्रभारी को विदेश मंत्रालय में तलब किया है। इसके अतिरिक्त ईरान के अटारनी जनरल को प्रतिबंधित कर दिया है।
ब्रिटेन की इस कार्यवाही पर तेहरान में ब्रिटेन के राजदूत को विदेश मंत्रालय तलब करके इस्लामी गणतंत्र ईरान की आपत्ति से उनको अवगत करवाया गया। ब्रिटेन का समर्थन करते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रां ने एक न्यायिक फैसले को राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के जासूस के मृत्युदंड की हम निंदा करते हैं। ईरान के बारे में अमरीका के विशेष दूत राॅबर्ट माली ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि ब्रिटिश-ईरानी नागरिकता प्राप्त अली रज़ा अकबरी के मृत्युदंड से मैं सहम गया।
ब्रिटेन के जासूस के मृत्युदंड पर पश्चिम की ओर से प्रतिक्रिया कोई अप्रत्याशित बात नहीं है। अली रज़ा अकबरी, ब्रिटेन की गुप्तचर सेवा MI 6 का एक प्रभावशाली जासूस था। वह ईरान की बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियों को एकत्रित करके ब्रिटेन की गुप्तचर सेवा के हवाले कर दिया करता था। ब्रिटेन का जासूस अली रज़ा अकबरी को दिया गया मृत्युदंड, उन विदेशी गुप्तचर एजेन्सियों के लिए यह चेतावनी है जो भी ईरान की जासूसी करना चाहते हैं। इसका कारण यह है कि इस बारे में तेहरान का फैसला बहुत ही निर्णायक होगा।
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