Apr ०६, २०२३ १२:३० Asia/Kolkata

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने तेहरान में देश के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाक़ात की।

इस मुलाक़ात में उन्होंने दुनिया में राजनैतिक बदलाव को बहुत तेज़ और साथ ही इसको इस्लामी गणराज्य के दुश्मनों के मोर्चे को कमज़ोर करने वाला बताया और कहा कि इस मौक़े से फ़ायदा उठाने के लिए हमें अपनी विदेश नीति को और सक्रिय करना चाहिए और नई पहल करना चाहिए।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने नए वर्ल्ड ऑर्डर में ईरान विरोधी मोर्चे की कमज़ोरी की निशानियों को बयान करते हुए कहा कि दुनिया में ईरान के सबसे बड़े विरोधियों में से एक अमरीका है और फ़ैक्ट्स बताते हैं कि ओबामा का अमरीका, बुश के अमरीका से, ट्रम्प का अमरीका ओबामा के अमरीका से, और इन साहब यानी (बाइडन) का अमरीका ट्रम्प के अमरीका से ज़्यादा कमज़ोर है।

उन्होंने इस बारे में आगे कहा कि अमरीका में दो तीन साल पहले के चुनाव में जो दो धड़े बन गए थे वो अब भी उसी ताक़त के साथ मौजूद हैं, अमरीका, ज़ायोनी शासन के संकट को हल नहीं कर सका, अमरीका ने एलान किया था कि वह ईरान के ख़िलाफ़ संयुक्त अरब गठजोड़ बनाने का इरादा रखता है लेकिन वह जो कुछ चाहता है आज उसके विपरीत बातें सामने आयी हैं और अरब देशों के साथ ईरान के संबंध बढ़ते जा रहे हैं।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने आगे कहा कि अमरीका राजनैतिक दबाव और पाबंदियों के ज़रिए परमाणु मुद्दे को अपने प्लान के मुताबिक़ ख़त्म करना चाहता था लेकिन वह यह भी नहीं कर सका।

इस्लामी क्रांति के के नेता ने अमरीका के कमज़ोरी की ओर बढने के उदाहरण पेश करते हुए कहा कि अमरीका ने युक्रेन जंग शुरू कराई, लेकिन यह जंग उसके और उसके यूरोपीय घटकों के बीच खाई पैदा होने का कारण बन गयी क्योंकि उस में मार उन्हें खानी पड़ रही है जबकि फ़ायदा अमरीका उठा रहा है।

उन्होंने कहा कि अमरीका, लैटिन अमरीका को अपना बैक यार्ड समझता है लेकिन वहां कई अमरीका विरोधी सरकारें सत्ता में आयी हैं। अमरीका, वेनेज़ोएला में पूरी तरह बदलाव लाना चाहता था यहां तक कि इस देश के लिए पैसों, हथियारों और सैन्य ताक़त से नक़ली राष्ट्रपति भी तैयार कर दिया, लेकिन वह नाकाम रहा।

अमरीकी डॉलर की ऐसी कमज़ोरी कि कुछ मुल्क स्थानीय करेंसियों या किसी अन्य करेंसी में व्यापार कर रहे हैं, एक दूसरा उदाहरण था,  जिसका हवाला देते हुए इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर ने कहा कि इन बातों से साबित होता है कि अमरीका, जो इस्लामी सिस्टम के दुश्मनों में सबसे ऊपर है, निरंतर कमज़ोर हो रहा है।

आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने इस्लामी गणतंत्र ईरान के दूसरे दुश्मन यानी ज़ायोनी शासन के बारे में कहा कि अपनी पचहत्तर साल की उम्र में इस शासन को कभी भी आज जैसी ख़तरनाक मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा था। उन्होंने ज़ायोनी शासन में बिखराव के आसार के कुछ उदाहरण पेश किए।

उन्होंने कहा कि ज़ायोनी शासन में राजनैतिक भूंचाल आया हुआ है और पिछले चार साल में चार प्रधान मंत्री बदल गए, वहां राजतैनिक गठजोड़ बनते ही बिखर जाता है, पूरे ज़ायोनी शासन में गहरा मतभेद पाया जाता है जिसकी एक निशानी कुछ शहरों में लाखों की तादाद में लोगों की भागीदारी से होने वाले प्रदर्शन हैं और ज़ायोनी, कुछ मीज़ाइल फ़ायर करके इन कमज़ोरियों की भरपाई करना चाहें तो यह मुमकिन नहीं है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने फ़िलिस्तीनी गुटों की ताक़त के दसियों गुना बढ़ जाने और ओस्लो तथा यासिर अरफ़ात के अपमानित फ़िलिस्तीन के प्रतिरोध के शेरों वाले फ़िलिस्तीन में बदल जाने को, ईरान विरोधी मोर्चे के कमज़ोर होने और प्रतिरोध के मोर्चे के मज़बूत होने की एक और निशानी बताया। (AK)

 

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