लैटिन अमरीका में घटता अमरीका का प्रभाव
इस्लामी क्रांति के वरिष्ट नेता ने कहा है कि लैटिन अमरीका में संयुक्त राज्य अमरीका का प्रभाव लगातार घट रहा है।
4 अप्रैल को आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली ख़ामेनेई ने देश के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भेंट में कहा कि अमरीका, लैटिन अमरीका को अपना बैकयार्ड समझता है।
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद लैटिन अमरीका में इस समय अमरीका विरोधी सरकारें बन रही हैं। इन्हीं सरकारों में से एक वेनेज़ोएला की सरकार है जिसको अमरीका गिरा देना चाहता था। इसके लिए एक नई सरकार का गठन भी कर लिया गया था। वेनेज़ोएला की वर्तमान अमरीका विरोधी सरकार को गिराकर वहां के लिए एक राष्ट्रपति को भी तैयार कर लिया गया था।
अमरीका की ओर से वेनेज़ोएला के लिए निर्धारित किये गए नक़ली राष्टपति को भारी मात्रा में पैसा और हथियार भी उपलब्ध कराए गए थे। इस तरह से दो-तीन साल तक अमरीका ने वेनेज़ोएला के भीतर अशांति बनाए रखी लेकिन वह वहां पर कर कुछ नहीं पाया। इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह सब अमरीका के कमज़ोर होने की निशानियां हैं।
एक ओर जहां पर लैटिन अमरीका में अमरीका का प्रभाव घटता जा रहा है वहीं पर चीन तथा रूस जैसे अमरीका के प्रतिस्पर्धी देश इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा रहे हैं। इसी बीच लैटिन अमरीका के विकासशील देशों ने अमरीकी दबाव को कम करने के उद्देश्य से चीन और रूस जैसी बड़ी शक्तियों के साथ सहयोग बढ़ाना शुरू कर दिया है। इन्हीं देशों में से एक वेनेज़ोएला भी है।
जनवरी के मध्य में वेनेज़ोएला के राष्ट्रपति निकोलस मादूरो ने लैटिन अमरीका में रूस और चीन के साथ सहयोग बढ़ाने की बात कही थी। दूसरी ओर चीन और रूस वे देश हैं जो संयुक्त राज्य अमरीका की एक तरफा नीतियों का विरोध करते हुए विश्व में बहुध्रुवीय व्यवस्था की स्थापना के पक्षधर हैं। इसके लिए उन्होंने अपने प्रयास तेज़ कर दिये हैं।
हालांकि अमरीका अब भी लैटिन अमरीका को अपना बैकयार्ड ही समझता है। यही कारण है कि वह इस क्षेत्र की वामपंथी सरकारों की इच्छा के विरुद्ध अपनी मनमानी करता रहता है। वाशिग्टन की यह सोच उसकी वर्चस्ववादी विचारधारा को प्रदर्शित करती है। हालांकि लैटिन अमरीकी क्षेत्र के कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष अपने क्षेत्र में अमरीका की हस्तक्षेपपूर्ण नीतियों के विरोधी हैं।
वर्तमान समय में वहां पर कई वामपंथी सरकारें अस्तित्व में आई हैं जो अभी सत्ता में बनी हुई हैं। यह सरकारें अमरीकी दबाव के मुक़ाबले में एक-दूसरे के साथ सहयोग कर रही हैं। अमरीका इस क्षेत्र में अब भी अपना दबदबा बनाए रखना चाहता है जिसके लिए उसने प्रतिबंधों और सरकारों को गिराने की नीति को प्राथमिकता दे रखी है। एसे में चीन और रूस जैसे अमरीका के प्रतिस्पर्धी देशों की ओर से लैटिन अमरीकी देशों का समर्थन, यहां पर अमरीका के प्रभाव और दबाव को कम करने में बहुत सहायक सिद्ध हो सकता है।
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