May २०, २०२३ १५:१३ Asia/Kolkata
  • सुप्रीम लीडर ने ईरान कूटनयिकों को दिया कामयाबी का मंत्र, दुश्मनों को कामयाब न होने दें

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने विदेश नीति में इज्ज़त और प्रतिष्ठा के साथ ख़ुशामद न करने की कूटनीति की ज़रूरत पर बल दिया है।

शनिवार को विदेशमंत्रालय के अधिकारियों और दूसरे देशों में तैनात ईरान के कूटनयिकों तथा डिप्लोमैट्स ने सुप्रीम लीडर से मुलाक़ात की। सुप्रीम लीडर ने अनेक देशों और कुछ महत्वपूर्ण तथा प्रभावी देशों के साथ ईरान की लंबी सीमाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि ईरान और उसके पड़ोसियों के साथ समस्याएं पैदा करने के लिए दुश्मनों के हाथ सक्रिय हैं और उनकी इस नीति को व्यवहारिक होने की इजाज़त नहीं दी जानी चाहिए।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने विदेशमंत्रालय के अधिकारियों और डिप्लोमैट्स को संबोधित करते हुए कहा कि प्रतिष्ठा और इज़्ज़त का अर्थ है डिप्लोमेसी में ख़ुशामद से बचना, हिकमत या दूरदर्शिता अर्थात रिश्तों और सहयोग में सूझबूझ और समय की नज़ाकत को समझना या मसलेहत यानी नर्मी के मौक़ों की पहचान करना है।

सुप्रीम लीडर का कहना था कि अंतर्राष्ट्रीय मामलों में बुद्धिमत्तापूर्ण दूरदर्शिता से काम लेने की ज़रूरत हे। उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठा और सम्मान का अर्थ, ख़ुशामद की डिप्लोमेसी को नकाराना है। उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठा व इज़्ज़त, सूझबूझ और दूरदर्शिता ईरान की विदेश नीति के तीन की वर्ड्ज़ हैं।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कहा कि विदेश नीति में दूरदर्शिता से काम लेना पड़ता है और दूरदर्शिता इस बात को समझना है कि कहां नर्मी और लचक की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि लचक का अर्थ अपना रास्ता छोड़ना और पीछे हटना कदापि नहीं है और लचक सिद्धांतों के विरुद्ध भी नहीं है।  (AK)

 

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