Sep २७, २०२३ १९:२५ Asia/Kolkata
  • क्या आप जानते हैं कि अमेरिका को क्यों सबसे बड़ा शैतान कहा जाता है? व्हाइट हाउस में बैठे मदारी ईरान से क्यों करते हैं इतनी नफ़रत?

ईरान में मानवाधिकार युवा संगठन के महासचिव ने इस्लामी क्रांति की सफलता बाद अमेरिका को सबसे बड़ा शैतान की उपाधि दी जाने की वजह बताते हुए कहा है कि क्योंकि दुनिया में जहां-जहां अशांति की आग भड़की हुई दिखाई देती है वहां-वहां उस आग को भड़काने में मुख्य भूमिका अमेरिका की ही होती है, इसलिए उसको इस ज़माने का सबसे बड़ा शैतान नाम दिया गया है।

इस बात में कोई शक नहीं है कि पृथ्वी पर इस समय अगर कोई सबसे बड़ा शैतान है तो अमेरिका के अलावा कोई दूसरा नहीं है। स्वतंत्र राष्ट्रों का उत्पीड़न, सैकड़ों सैन्य हमले, दर्जनों युद्ध, अंगिनत तख्तापलट और क्रूर प्रतिबंध, यह सब अमेरिका ऐसे कारनामे हैं कि जो उसे इस दुनिया का सबसे बड़ा शैतान बनाते हैं। बुधवार को पवित्र शाह चिराग़ मज़ार की ओर से आयोजित की गई, "इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता की नज़र में अमेरिकी मानवाधिकार" के शीर्षक के तहत दसवीं विशेष संगोष्ठी को संबोधित करते हुए ईरान में मानवाधिकार युवा संगठन के महासचिव अमीन अंसारी ने बताया कि अब तक देश के अंदर "इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता की नज़र में अमेरिकी मानवाधिकार" के शीर्षक के तहत नौ संगोष्ठियों का आयोजन हो चुका है। जबकि तीन विशेष बैठकें तुर्की और वेनेज़ुएला में हो चुकी हैं। इन बैठकों अमेरिका के कथित मानवाधिकारों के बारे में गहनता से चर्चा की गई है। अमीन अंसारी ने कहा कि अमेरिका द्वारा किए जाने वाले ज़ुल्मों से कोई इंकार नहीं कर सकता है, क्योंकि वह जग-ज़ाहिर है। दुनिया में शायद ही कोई भी देश ऐसा नहीं है जो अमेरिका से अधिक अत्याचारी हो।  लेकिन आपराधों में डूबा हुआ यह देश ख़ुद को मानवाधिकारों के ध्वजवाहक के रूप में पेश करता है। वहीं इसके पास मौजूद मीडिया साम्राज्य इसके इस झूठ का प्रचार-प्रसार करती है।

ईरान में मानवाधिकार युवा संगठन के महासचिव अमीन अंसारी ने अमेरिका द्वारा ईरान से की जाने वाली बेपनाह नफ़रत की वजह बताते हुए कहा कि, इस्लामी क्रांति ने दो लक्ष्य अपनाए, एक देश के अंदर इस्लामी शिक्षाओं और सिद्धांतों पर आधारित व्यवस्था और दूसरा विदेशों में इन शुद्ध शिक्षाओं को लागू करना, दोनों ही मामलों में इस्लामी गणराज्य को सफलता मिली। इस बीच इस्लामी क्रांति के बाद देश के अंदर इस्लाम और इस्लामी व्यवस्था का शासन क़ायम हुआ और इस्लामी ईरान को आज़ादी मिली और देश के संसाधनों से अमेरिका का लुटेरा हाथ कट गया। अमीन अंसारी ने कहा कि इस्लामी क्रांति से पहले, जब ईरान की आबादी 35 मिलियन थी, तो वह 60 लाख बैरल तेल निर्यात करता था, और अब 85 मिलियन की आबादी के साथ, वह 30 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है, लेकिन अंतर यह है कि पहले 30 लाख बैरल का पैसा अमेरिका की जेब में जाता था, लेकिन अब उसकी टोटी बंद कर दी गई है, जिसकी वजह से वह ईरान की इस्लामी व्यवस्था के प्रति नफ़रत रखता है और दिन-रात ग़ुस्से से लाल-पीला होता रहता है। (RZ)

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