Dec २५, २०२३ १४:०२ Asia/Kolkata
  • इस्राईली जहाज़ों पर यमनी हमलों के बारे में अमरीका के दावों का ईरान ने दिया जवाब

इस्लामी गणराज्य ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुल्लाहियान ने इस पर ज़ोर देते हुए कि पश्चिमी एशिया में ईरान की कोई प्राक्सी फ़ोर्स नहीं है, कहा कि इस्राईली जहाज़ों पर यमनियों के हमले में ईरान की कोई भूमिका नहीं है।

हालिया हफ़्तों में इस्राईली जहाज़ों या फिर इस्राईली बंदरगाह की ओर जाने वाले दूसरे जहाज़ों पर यमनियों के हमले का विषय दुनिया के मीडिया की सुर्ख़ियों में रहा और यह मुद्दा ज़ायोनी शासन के समर्थकों की सबसे बड़ी प्राथमिकताओं में शामिल हो गया। अमरीका ने ज़ायोनी शासन का समर्थन जारी रखते हुए एलान किया कि वह लाल सागर में कई देशों के साथ मिलकर एक नैवल एलायंस बनाएगा। इसके अलावा अमरीकी सरकार ने ईरान पर बेबुनियाद आरोप लगाते हुए कहा कि इस्राईली जहाज़ों पर यमनियों के हमले में ईरान शामिल है। दरअस्ल अमरीका का दावा यह है कि यमनी फ़ोर्सेज़ ईरान के प्राक्सी के रूप में काम करते हुए इस्राईली जहाज़ों पर हमले कर रही हैं।

विदेश मंत्री ने फ़िलिस्तीन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद पत्रकारों से बातचीत में इन दावों का जवाब दिया। उन्होंने सबसे पहली बात यह कही कि विदेश नीति सहित हर मसले में यमन के लोग अपना फ़ैसला ख़ुद करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि इलाक़े में ईरान का कोई प्राक्सी संगठन नहीं है। अमरीका जिन संगठन को प्राक्सी कहता है वे अपने अपने देशों के राष्ट्रीय हितों के दायरे में काम करने वाले संगठन और आंदोलन हैं जो अपने देश और इराक़ की सुरक्षा के लिए काम करते हैं।

दरअस्ल ईरान की रणनीति यह है कि अपने घटकों के फ़ैसलों में कोई हस्तक्षेप नहीं करता और ख़ास तौर पर यमन की सनआ सरकार की स्वाधीनता का सम्मान करता है।

विदेश मंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान के बयान का दूसरा बिंदु यह था कि यमनी फ़ोर्सेज़ ने सऊदी अरब के साथ आठ साल की जंग में जो सामरिक महारत हासिल की है उसकी बुनियाद पर रक्षा उपकरणों का उत्पादन कर रहे हैं। सऊदी अरब के साथ आठ साल की जंग की यमनियों के लिए एक उपलब्धि यह रही कि उन्होंने रक्षा उपकरणों का निर्माण और विकास सीख लिया। यही वजह थी कि रियाज़ सरकार के लिए यमन की लड़ाई दलदल बन गई और उसे जान बचाकर भागना पड़ा। ईरान के विदेश मंत्री ने इस बारे में कहा कि यमनियों के पास बड़े पैमाने पर आधुनिक रक्षा संसाधन मौजूद हैं उनके पास ताक़तवर मिसाइल और ड्रोन हैं, ग़ज़ा की मदद का फ़ैसला पूरी तरह यमनियों का फ़ैसला है इसलिए इस मामले में अमरीका का ईरान पर आरोप बेबुनियाद है।

विदेश मंत्री अमीर अब्दुल्लाहियान के बयान की तीसरी अहम बात यह थी कि लाल सागर में नैवल एलायंस बनाने का अमरीका का क़दम बिल्कुल ग़लत है। ग़ज़ा पर ज़ायोनी शासन के हमलों को 80 दिन का समय बीत चुका है और इस दौरान वह क़ातिल ज़ायोनी शासन की लगातार मदद करता रहा है। अमरीका का दावा है कि यमनियों के हमले की वजह से इस्राईल की सुरक्षा ख़तरे में पड़ गई है इसलिए एलायंस बनाकर वह ज़ायोनी शासन की सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहता है मगर एक बात तो यह है कि अगर अमरीका चाहता है कि पश्चिमी एशिया के इलाक़े में शांति हो तो सबसे पहले वह ज़ायोनी शासन का समर्थन बंद कर दे इसके लिए नैवल अलायंस बनाने की ज़रूरत नहीं है। दूसरी बात यह है कि शांति का हल लाल सागर में अलायं बनाना नहीं बल्कि ग़ज़ा में बच्चों, महिलाओं और आम नागरिकों का क़त्ले आम रुकवाना है। अमरीकियों को चाहिए कि अलायंस बनाने के बजाए यह कोशिश करें कि ज़ायोनी शासन नरसंहार, युद्ध अपराध और फ़िलिस्तीनियों को विस्थापित करने का सपना देखना बंद करे।

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