Jan ०६, २०२४ २०:०९ Asia/Kolkata
  • दाइश इलाक़े में अमरीका और ज़ायोनी शासन का विनाशकारी हथियार

आतंकी संगठन दाइश ने गुरुवार की शाम किरमान शहर में होने वाले आतंकी हमलों की ज़िम्मेदारी स्वीकार की जो बुधवार को हुए थे। यह आतंकी संगठन पश्चिमी एशिया के इलाक़े में ज़ायोनी शासन और अमरीका के पयादे के रूप में काम करता है।

बुधवावर की शाम जब ईरान की क़ुद्स फ़ोर्स के पूर्व कमांडर शहीद क़ासिम सुलैमानी की चौथी बर्सी का कार्यक्रम चल रहा था उनके मज़ार की ओर जाने वाले रास्ते पर दो धमाके हुए जिनमें 90 से अधिक लोग शहीद और सैकड़ों घायल हो गए।

पश्चिमी एशिया के इलाक़े के हालात के मद्देनज़र और ख़ास तौर पर ग़ज़ा की लड़ाई में ज़ायोनी शासन को पहुंचने वाले भारी नुक़सान को देखते हुए शुरू से ही अमरीका और ज़ायोनी शासन को इस आतंकी हमले के मुख्य समर्थकों के रूप में देखा गया लेकिन अमरीका और ज़ायोनी शासन ने पहले की तरह इस बार भी हमले में अपना हाथ होने का खंडन किया। अमरीका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने किरमान में होने वाली आतंकी घटना के बारे में दावा किया कि ईरान में होने वाले धमाकों में अमरीका की कोई भूमिका नहीं है और कोई साक्ष्य नहीं है जिसके आधार पर हम यह यक़ीन कर लें कि इसमें इस्राईल का हाथ होगा। ज़ायोनी सेना के प्रवक्ता डैनियल हगारी ने बुधवार की रात प्रेस कान्फ़्रेंस में कहा कि ईरान में होने वाले धमाकों पर वो कोई कमेंट नहीं करेंगे और हमारा ध्यान हमास के ख़िलाफ़ जारी जंग पर केन्द्रित है।

हक़ीक़त यह है कि दाइश जैसा आतंकी गुट इस्लामी गणराज्य ईरान के दुश्मनों की मदद के बग़ैर इस प्रकार का अपराध अंजाम देने में सक्षम ही नहीं है।

ठोस साक्ष्यों से साबित होता है कि अमरीका ने पश्चिमी एशिया के इलाक़े में रेज़िस्टेंस फ़ोर्सेज़ के नेटवर्क का मुक़ाबला करने के लिए दाइश के गठन में केन्द्रीय भूमिका निभाई और वो इराक़, सीरिया और अफ़गानिस्तान में दाइश की गतिविधियों को विस्तार देने में मदद करता रहा है। अमरीका अपने पश्चिमी और अरब घटकों की मदद से दाइश सहित आतंकी संगठनों को अपने स्वार्थ पूरे करने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करता रहा है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने अगस्त 2016 में बाराक ओबामा के राष्ट्रपति काल में कहा था कि ओबामा और हिलैरी क्लिंटन ने दाइश की स्थापना की है।

अमरीका के मशहूर राजनेता राबर्ट एफ़ कैनेडी ने जिन्होंने अमरीका के 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार की हैसियत से भाग लेने का एलान किया है और डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर जो बाइडन के प्रतिस्पर्धी समझे जाते हैं दाइश के गठन में अमरीका की भूमिका की बात मानी है।

दूसरी ओर ज़ायोनी अधिकारी भी ख़ामोशी या इंकार के ज़रिए किरमान के आतंकी हमलों में अपनी भूमिका छिपाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ईरान और दूसरे देशों में अशांति फैलाने के लिए आतंकी संगठनों के साथ ज़ायोनी शासन के सहयोग का इतिहास उनके दावों से मेल नहीं खाता। वर्ष 2019 में ज़ायोनी शासन के चीफ़ आफ़ आर्मी स्टाफ़ गादी आइज़नकोट ने स्वीकार किया था कि तेल अबीब ने अपनी सुरक्षा के मद्देनज़र सीरिया में आतंकी संगठनों को हल्के हथियार दिए थे। ईरान के अधिकारी कई बार कह चुके हैं कि परमाणु वैज्ञानिकों की टारगेट किलिंग के साथ ही अनेक आतंकी हमलों में ज़ायोनी अधिकारी लिप्त रहे हैं।

तो अमरीका और ज़ायोनी शासन एसी स्थिति में किरमान के आतंकी हमलों से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं जब उन्होंने आतंकी संगठनों के गठन में प्रत्यक्ष या परोक्ष भूमिका निभाई है।

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