Apr १४, २०२४ १९:४९ Asia/Kolkata
  • अर्जेंटीना की न्यायिक व्यवस्था में ज़ायोनियों का प्रभाव और ईरान के ख़िलाफ़ दुष्प्रचार की स्टोरी

तीस साल पहले ब्यूनस आयर्स स्थित यहूदियों की एक बड़ी इमारत में एक विस्फ़ोट हुआ था, जिसमें 85 लोगों की मौत हो गई, जबकि 300 से अधिक लोग घायल हो गए थे।

इस घटना के कई साल बाद इस्राईल के प्रयासों से, ईरान के ख़िलाफ़ कई सुबूत पेश किए गए, जो स्पष्ट तौर पर झूठे थे। इसके बावजूद, ईरान को अपराधी घोषित करने के लिए ज़ायोनी शासन और उसके एजेंटों ने अर्जेंटीना में अपने प्रयास बंद नहीं किए।

इस्राईल-अर्जेंटीना एसोसिएशन (एएमआईए) और इस्राईल-अर्जेंटीना एसोसिएशन (डीएवाईए) के दो केंद्रों में विस्फ़ोट हुआ, ज़ायोनी अधिकारियों ने तुरंत इन विस्फोटों के लिए ईरान को दोषी ठहराना शुरू कर दिया और फिर ब्यूनस आयर्स में ईरानी दूतावास के सामने प्रदर्शनों का आयोजन करके मीडिया को प्रभावित करने की कोशिश की।

इससे संबंधित मुक़मदे की सुनवाई की ज़िम्मेदारी अर्जेंटीना के संघीय न्यायाधीश "जुआन जोस गैलेनो" को दी गई, लेकिन ईरान के ख़िलाफ़ एक फ़र्ज़ी मामला तैयार करने के लिए गवाहों को रिश्वत देने और इस संबंध में उनकी हरकतों के कारण अर्जेंटीना की सर्वोच्च न्यायाधीश परिषद द्वारा उन्हें उनके पद से बर्ख़ास्त कर दिया गया और उनके न्यायाधीश का लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया था।

न्यायाधीश गैलेनो की बर्ख़ास्तगी उन सभी आरोपों के झूठा होने का स्पष्ट संकेत थी, जो उन्होंने इस्लामी गणतंत्र ईरान और ईरानी नागरिकों के ख़िलाफ़ लगाए थे।

यह स्पष्ट है कि गैलेनो एएमआईए मामले में अर्जेंटीना की न्यायिक प्रणाली में इस्राईल के प्रभाव वाले एकमात्र प्रतिनिधि नहीं थे, क्योंकि उनके जाने के बाद भी ईरान के खिलाफ़ आरोपों का सिलसिला नहीं थमा।

मामले की जांच के दौरान, गैलेनो ने कई लोगों को पहचान गुप्त रखने के साथ गवाही देने के लिए तैयार किया था, जिसमें एएमआईए मामले का बचाव करने वाले एक वकील और कुछ ईरानी भगोड़े भी शामिल थे।

एएमआईए मामले के सिलसिले में चार निर्दोष अर्जेंटीना अधिकारियों को 8 से 10 साल तक जेल में रखने के अलावा, गैलेनो ने एक कार डीलर को अदालत में यह स्वीकार करने के लिए 4 लाख डॉलर की रिश्वत दी कि उसने हिज़्बुल्लाह के एक सदस्य को एक ट्रक बेचा था, जिसे ईरान ने बम धमाके की ज़िम्मेदारी सौंपी थी।

अर्जेंटीना के इस न्यायाधीश ने अर्जेंटीना में ईरान के पूर्व राजदूत हादी सुलेमानपूर सहित 8 ईरानी राजनयिकों की गिरफ्तारी के लिए एक अंतरराष्ट्रीय वारंट भी जारी किया था, जिसके परिणामस्वरूप इंग्लैंड के डरहम में सुलेमानपुर को गिरफ्तार कर लिया गया था। लेकिन चूंकि न्यायाधीश गैलेनो द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य अंग्रेज़ी अदालत द्वारा स्वीकार नहीं किए गए, इसलिए उन्हें बाद में ज़मानत पर रिहा कर दिया गया और अंततः ब्रिटिश अदालत ने अंतिम फ़ैसला सुनाया कि अर्जेंटीना में पूर्व ईरानी राजदूत निर्दोष थे। और मामला आधिकारिक तौर पर बंद घोषित कर दिया गया।

इस्राईल के झूठे दावों का पर्दाफ़ाश

जब मामले की ज़िम्मेदारी न्यायाधीश कनिको बा कोरल को सौंपी गई, तो अर्जेंटीना की सरकार फिर से ज़ायोनी लॉबी के दबाव में थी। ज़ायनियों के एक नए समूह ने विस्फ़ोट के आरोपियों को बरी करने के अदालत के फ़ैसले के अपील दायर कर दी, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस समूह के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने फ़ैसले को बरक़रार रखा और एक बार फिर ज़ायोनी गुटों के झूठे दावों को ख़ारिज कर दिया।

इंटरपोल ने ईरान के पक्ष में फ़ैसला किया

2004 में अर्जेंटीना के विरोध के बाद, इंटरपोल वार्षिक महासभा में पिछले निर्णय को स्थगित कर दिया गया। इस बार, इंटरपोल अध्यक्ष ने घोषणा की कि अर्जेंटीना के पूर्व न्यायाधीश ने विस्फ़ोट मामले में ग़लत काम किया और ईरान के नागरिकों के ख़िलाफ़ सभी आरोपों को ख़ारिज कर दिया। इस बैठक में इंटरपोल के कुल 100 सदस्य देशों में से 95 देशों ने ईरान के पक्ष में मतदान किया। msm

 

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